गुजरात चुनाव में प्रचार से क्यों दूर हैं राहुल गांधी, कांग्रेस की विशेष रणनीति से खत्म होगा 27 साल का सूखा?

Wednesday, Nov 23, 2022 - 08:54 PM (IST)

नेशनल डेस्कः गुजरात में चुनाव हैं और राहुल गांधी प्रचार से दूर। ये कांग्रेस की रणनीति है या फिर भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के बिजी शेड्यूल की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है। दरअसल, गुजरात के पहले चरण में अब कुछ दिन ही शेष बचे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार और मंगलवार दो दिन ही आदिवासी इलाकों में जनसभाएं की और फिर भारत जोड़ो यात्रा के लिए निकल गए। गौरतलब है कि गुजरात में कांग्रेस 27 सालों से सत्ता से बाहर है। इस चुनाव में सरकार बनाने के लिए जोर-शोर से जुटी हुई है।

अशोक गहलोत के कंधों पर जिम्मेदारी
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सबसे भरोसेमंद नेता अशोक गहलोत के कंधों पर चुनाव की जिम्मेदारी है। ऐसे में उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है। कांग्रेस गुजरात में 27 साल से सत्ता से दूर है। इस बार चुनाव में कांग्रेस एक अलग रणनीति के तहत उतरी है। कांग्रेस के नेता छोटी-छोटी सभाएं कर रहे हैं। लोगों से जनसंपर्क कर रहे हैं। लोगों से लगातार संवाद कर रहे हैं।

आदिवासी क्षेत्रों में ही प्रचार
राहुल गांधी ने अभी तक गुजरात में सिर्फ दो ही दिन प्रचार किया है। पहले दिनन मेहसाणा, दाहोद, वलसाड आदिवासी क्षेत्र में तीन जनसभाओं कीं और दूसरे दिन भी अन्य इलाकों में सभाएं कीं। इस दौरान राहुल गांधी ने जमकर केंद्र और भाजपा पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय देश के 'पहले मालिक' हैं लेकिन भाजपा उनके अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है। राहुल गांधी अब भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ चुके हैं और आगे का कार्यक्रम अभी तय नहीं है।

पहली बार अहमद पटेल के बिना कांग्रेस
कांग्रेस इस बार अहमद पटेल के बगैर चुनाव मैदान में हैं। कभी सोनिया गांधी के सलाहकार रहे अहमद पटेल का पिछले साल निधन हो गया। यह कांग्रेस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था। दरअसल, सोनिया गांधी के सिपसलाहकारों में अहमद पटेल नंबर एक पर थे। उन्हें कांग्रेस का चुनावी चाणक्य भी कहा जाता था। एक बार गुजरात के राज्यसभा चुनाव में दो चाणक्य अहमद पटेल और अमित शाह आमने-सामने आए थे और बाजी अहमद पटेल के हाथ लगी। तब से लोग उन्हें शतरंज का खिलाड़ी मानने लगे थे। कांग्रेस का वह कद्दावर नेता अब नहीं है। इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।

भाजपा उठाती है राहुल के प्रचार का फायदा
राहुल गांधी जब भी कहीं चुनाव प्रचार करने जाते हैं। तो भाजपा इसका फायदा उठाती है। दरअसल, जनसभाओं/रैलियों में कई बार नेताओं की जुबान फिसल जाती है। तो जनसभाओं की वीडियो से छोटी क्लिप बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता है और लोगों के बीच प्रसारित किया जाता है। ऐसा ही एक वीडियो सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें राहुल गांधी ने रैली के दौरान गुजराती में ट्रांसलेट करने के लिए एक नेता को चुना लेकिन कुछ देर तक ट्रांसलेशन करने के बाद नेताजी ने बोल दिया कि आप हिंदी में बोलें, सब हिंदी समझते हैं। फिर क्या था, इस छोटी सी क्लिप को भाजपा ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

प्रियंका गांधी भी प्रचार से दूर
हिमाचल प्रदेश के चुनाव प्रचार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाली कांग्रेस महासचिव और राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी भी अभी गुजरात में प्रचार करने नहीं पहुंची हैं। प्रियंका बुधवार से राहुल के साथ चार दिनों तक कदम-ताल मिलाते नजर आएंगीं। इसके लिए वह इंदौर पहुंच चुकी हैं। भारत जोड़ो यात्रा महाराष्ट्र के बाद अब मध्य प्रदेश में प्रवेश कर चुकी है।

खरगे 28-29 नवंबर को करेंगे प्रचार
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए 26 और 28 नवंबर को प्रचार करेंगे। खरगे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष 26 नवंबर को अहमदाबाद में एक जनसभा को संबोधित करेंगे और इसके अगले दिन संवाददाता सम्मेलन भी कर सकते हैं। खरगे 28 नवंबर को गांधीनगर के निकट एक जनसभा को संबोधित करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष 27 नवंबर को मध्य प्रदेश के इंदौर में ‘भारत जोड़ो यात्रा' में शामिल होंगे और एक सभा को संबोधित करेंगे।गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीट है जहां दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 89 सीट पर एक दिसंबर को जबकि दूसरे चरण में शेष 93 सीट पर पांच दिसंबर को मतदन होगा । राज्य में आठ दिसंबर को मतों की गिनती होगी ।

गहलोत बोले- गुजरात में चौंकाने वाले हो सकते हैं नतीजे
अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हालत खराब है और वहां चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं। इसके साथ ही गहलोत ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) पर निशाना साधा और सवाल उठाया कि क्या पार्टी की भाजपा से मिलीभगत है?

Yaspal

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