Labor Pain For Pregnant Women: अब प्रेग्नेंट महिलाओं को नहीं होता लेबर पेन... लेकिन क्यों? सामने आई चौंकाने वाली वजह
punjabkesari.in Wednesday, Nov 12, 2025 - 04:42 PM (IST)
नेशनल डेस्क। यह एक आम बात है कि कई माताएं यह दावा करती हैं कि उन्हें बच्चे के जन्म के दौरान हुए तीव्र दर्द (लेबर पेन) की तीव्रता अब याद नहीं है जबकि उस पूरे अनुभव की अन्य बातें जैसे डॉक्टर की उपस्थिति, परिवार का साथ या बच्चे के रोने की पहली आवाज़ उन्हें स्पष्ट रूप से याद रहती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह कोई वास्तविक मेमोरी लॉस नहीं है बल्कि समय के साथ दर्द की यादों का स्वाभाविक रूप से धुंधला पड़ जाना है।
याददाश्त क्यों होती है कमजोर?
विशेषज्ञों का कहना है कि लेबर पेन को याद रखना या भूल जाना दोनों ही कई व्यक्तिगत कारकों पर निर्भर करते हैं। 2016 की एक रिसर्च के मुताबिक डिलीवरी का पूरा अनुभव, दर्द को कम करने के लिए अपनाए गए तरीके (Pain Relief Options) और जटिलताओं की उपस्थिति या अनुपस्थिति ये सभी मिलकर तय करते हैं कि महिला उस दर्द की याद को कैसे स्टोर करती है। यानी यह सिर्फ दर्द की तीव्रता पर नहीं बल्कि उस समय के हालात और महिला की मानसिक स्थिति पर भी निर्भर करता है कि मस्तिष्क उस अनुभव को किस तरह संग्रहित (Store) करता है।
हालांकि 2014 में जापान में हुई एक स्टडी में 1,000 से अधिक महिलाओं को शामिल किया गया था जिसमें पाया गया कि पांच साल बाद भी इन महिलाओं को अपने लेबर पेन की याद थी और वे दर्द वाले हिस्सों को साफ-साफ बता सकती थीं। इससे पता चलता है कि हर महिला का अनुभव अलग होता है।
ऑक्सीटोसिन करता है यादों को नरम
सवाल उठता है कि कई महिलाएं दर्द को याद क्यों नहीं रख पातीं? इसका मुख्य कारण शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव हैं। कैलिफोर्निया की साइकोथेरेपिस्ट साइकोलॉजिस्ट जेनेट बायरमयान के अनुसार बच्चे के जन्म के तुरंत बाद शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन का स्तर बहुत बढ़ जाता है। इस हार्मोन को बॉन्डिंग हार्मोन भी कहा जाता है जो मां और नवजात शिशु के बीच एक मजबूत भावनात्मक जुड़ाव बनाता है। जेनेट कहती हैं कि यह हार्मोन न केवल मां को बच्चे से जोड़ता है बल्कि यह दर्द की यादों को भी नरम कर देता है। यही कारण है कि कई माताएं बाद में उस पीड़ा को उतनी तीव्रता से याद नहीं कर पातीं।
यह भी पढ़ें: अपना सैनेट्री पैड दिखाओ! सुपरवाइजर की शर्मनाक हरकत- मासिक धर्म के बारे में सबूत मांगा तो SC ने लगाई फटकार
इवोल्यूशन का कमाल या सेलेक्टिव अम्नेशिया
कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि यह प्रकृति की एक अद्भुत और विकासात्मक (Evolutionary) व्यवस्था है। यदि महिलाएं हर बार उस असहनीय दर्द को उसी तीव्रता से याद रखें तो शायद वे दोबारा गर्भधारण करने से डरें। इसीलिए शरीर खुद ही 'सेलेक्टिव अम्नेशिया' (चुनिंदा याददाश्त की कमी) का सहारा लेता है जिससे दर्द की यादें समय के साथ धूमिल पड़ जाती हैं।
बच्चे पर कोई नकारात्मक असर नहीं
विशेषज्ञ यह भी स्पष्ट करते हैं कि लेबर पेन का कम याद रह जाना या महसूस न होना बच्चे के जन्म की प्रक्रिया पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालता। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में एपिड्यूरल (Epidural) और गैस-रिलीफ जैसी कई सुरक्षित दर्द निवारक तकनीकें उपलब्ध हैं जिनकी मदद से महिलाएं सुरक्षित रूप से और बिना अत्यधिक पीड़ा के बच्चे को जन्म दे सकती हैं।
