अंतरिक्ष में फिटनेस की जंग, हर दिन ढाई घंटे पसीना क्यों बहाते हैं अंतरिक्ष यात्री?

punjabkesari.in Monday, Jun 09, 2025 - 04:19 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण होने के कारण शरीर पर वह स्वाभाविक खिंचाव नहीं पड़ता जो धरती पर चलता है - ना मांसपेशियों को चुनौती मिलती है ना हड्डियों को भार सहना पड़ता है। परिणामस्वरूप शरीर तेजी से कमजोर होने लगता है और धरती पर वापसी के बाद साधारण काम भी कठिन लग सकते हैं। ISS पर छह महीने बिताने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियों का आकार लगभग 20 % तक घट सकता है जबकि हड्डियों की मिनरल डेंसिटी औसतन 14 % तक कम होती पाई गई है। कुछ मामलों में यह गिरावट 30 % तक पहुंच गई जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द होना भी एक आम शिकायत है।

रक्त संचार और नज़रों पर असर

गुरुत्वाकर्षण न होने से शरीर के द्रव नीचे की ओर नहीं बहते। चेहरे पर सूजन आ सकती है और आंखों की रोशनी थोड़ी धुंधली लगती है। अच्छा यह है कि धरती पर लौटते ही यह समस्या प्रायः स्वतः ठीक हो जाती है मगर लंबे और खासकर भविष्य के मिशनों में इसका असर अधिक गंभीर हो सकता है।

अंतरिक्ष स्टेशन का अनोखा जिम

ISS में भी ‘जिम’ है पर यह पारंपरिक नहीं है।

  • स्टेशनरी बाइक: सीट नहीं है क्योंकि अंतरिक्ष यात्री को बैठना ही नहीं पड़ता।

  • ट्रेडमिल: पैरों को बंजी रस्सियों से बांधा जाता है ताकि वे तैरें नहीं।

  • ARED मशीन: वैक्यूम-दबाव आधारित रेजिस्टेंस सिस्टम मांसपेशियों को धरती जैसा भार महसूस कराता है।

रोजाना का फिटनेस शेड्यूल

हर अंतरिक्ष यात्री लगभग 150 मिनट रोज़ व्यायाम करता है – कई बार शिफ्टों में बांट कर। कार्डियो और वेट ट्रेनिंग दोनों शामिल हैं जिससे हृदय प्रणाली सक्रिय रहे और मुख्य मांसपेशी समूहों को भरपूर काम मिले। इस नियम से वे पृथ्वी पर उतरते समय चल-फिर सकने की स्थिति में रहते हैं।

मंगल यात्रा की चुनौती

मंगल मिशन में कुल उड़ान समय करीब तीन साल का हो सकता है। यदि सही फिटनेस व्यवस्था न हो तो अंतरिक्ष यात्री उतने कमजोर हो सकते हैं कि लाल ग्रह पर उतर कर वैज्ञानिक उपकरण चलाना भी मुश्किल लगे। इसलिए वैज्ञानिक कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण वाले घूमते मॉड्यूल और नई एक्सरसाइज़ मशीनें विकसित कर रहे हैं।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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