Nepal Currency Shifted: नेपाल ने बदला अपनी करेंसी छपवाने का ठिकाना, जानिए अब किस देश में छपतें है नेपाली नोट?
punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 11:40 AM (IST)
नेशनल डेस्क। एक समय था जब पड़ोसी देश नेपाल अपनी करेंसी (मुद्रा) भारत की सुरक्षा प्रेस में छपवाता था लेकिन अब यह सिलसिला पूरी तरह से थम चुका है। 2015 के आसपास से नेपाल ने यह ज़िम्मेदारी चीन को सौंप दी है और वह अकेला नहीं है बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, थाईलैंड जैसे कई अन्य एशियाई देश भी अब अपनी मुद्रा छपवाने के लिए चीन का रुख कर रहे हैं। यह बदलाव केवल आर्थिक नहीं बल्कि भू-राजनीतिक (Geopolitical) कारणों से भी हुआ है जिसने चीन को वैश्विक करेंसी प्रिंटिंग बाज़ार का सबसे बड़ा खिलाड़ी बना दिया है।
भारत से नेपाल का नाता टूटने के मुख्य कारण
करीब 1945 से लेकर 2015 तक नेपाल की कुछ करेंसी भारतीय सुरक्षा प्रेस नासिक में छपती रही थी लेकिन यह साझेदारी टूटने के दो प्रमुख कारण रहे:
-
राजनीतिक विवाद और नक्शा:
-
नेपाल ने हाल ही में अपने नोटों में देश का संशोधित नक्शा शामिल किया जिसमें लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी जैसे भारत के साथ विवादित क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है।
-
भारत सरकार ने राजनीतिक विवाद को देखते हुए ऐसे नोटों को छापने पर अस्वीकृति जता दी। इस असहमतिके कारण नेपाल को छपाई के लिए नया विकल्प तलाशना पड़ा।
-
-
आधुनिक तकनीक और कम लागत:
-
चीन की सरकारी कंपनी चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन (CBPMC) ने ग्लोबल टेंडर प्रक्रिया में सबसे कम बोली लगाई।
-
CBPMC ने सस्ता, सुरक्षित छपाई और आधुनिक सुरक्षा फीचर्स (जैसे कलर शिफ्टिंग इंक और वाटरमार्क) देने का आश्वासन दिया जिससे नेपाल ने चीन को ठेका देने का निर्णय लिया।
-
हाल ही में नेपाल राष्ट्र बैंक ने 1,000 रुपये के 43 करोड़ नोटों की छपाई का ठेका भी इसी चीनी कंपनी को दिया है जिसकी अनुमानित लागत $1.6985 करोड़ है।
-

चीन कैसे बना करेंसी प्रिंटिंग का 'ग्लोबल लीडर'?
आज चीन की सरकारी कंपनी CBPMC न केवल नेपाल बल्कि एशियाई देशों जैसे बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, थाईलैंड और कुछ हद तक अफगानिस्तान की भी करेंसी छापती है। चीन के इस कारोबार में नंबर वन बनने का मुख्य कारण एक बड़ी अधिग्रहण (Acquisition) डील है।
-
डील का रहस्य: CBPMC ने सीधे तौर पर नहीं बल्कि अपनी सहायक कंपनी चाइना ग्रॉप विंगर्ट प्रिंटिंग कंपनी लिमिटेड के माध्यम से दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट करेंसी प्रिंटर डे ला रू (De La Rue) के प्रिंटिंग कारोबार को खरीदा।
-
अधिग्रहण: 2015 में चाइना ग्रॉप ने डे ला रू के बैंकनोट प्रिंटिंग व्यवसाय को लगभग £20 मिलियन (करीब ₹200 करोड़) में खरीद लिया। इस सौदे में यूके स्थित प्रिंटिंग प्रेस, तकनीक, डिज़ाइन और 140 देशों तक फैले ग्राहक शामिल थे।
-
परिणाम: इस अधिग्रहण ने CBPMC की बाज़ार हिस्सेदारी को दोगुने से भी ज़्यादा बढ़ा दिया जिससे यह कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी प्रिंटिंग कंपनी बन गई।
वैश्विक नोट छपाई: सरकारी और निजी कंपनियां
दुनिया में नोट छापने का काम कुछ प्रमुख सरकारी और निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है।
प्रमुख सरकारी कंपनियां:
| कंपनी का नाम | देश | प्रमुख कार्य |
| चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन (CBPMC) | चीन | दुनिया की सबसे बड़ी, कई विकासशील देशों को सेवा देती है। |
| यूएस ब्यूरो ऑफ एंग्रेविंग एंड प्रिंटिंग | अमेरिका | केवल अमेरिकी डॉलर छापती है। |
| नेशनल प्रिंटिंग ब्यूरो (NPB) | जापान | जापानी येन छापती है उच्च तकनीक के लिए जानी जाती है। |
| इंडिया सिक्योरिटी प्रेस | भारत | भारतीय रुपया छापती है (RBI के लिए)। |
प्रमुख निजी कंपनियां:
| कंपनी का नाम | देश | प्रमुख विशेषता |
| डे ला रू (अब चीनी नियंत्रण में) | यूके | 140 देशों की मुद्रा छापने वाली बड़ी प्राइवेट कंपनी थी। |
| गीसेके & डेव्रिएंट | जर्मनी | सुरक्षा प्रिंटिंग में विशेषज्ञ यूरो सहित कई देशों के नोट छापती है। |
| काना (अब क्रेन के पास स्वामित्व) | स्वीडन/अमेरिका | नोट के लिए विशेष सुरक्षा कागज और स्याही बनाने में माहिर। |
| फोर्टरैस | ऑस्ट्रेलिया | पॉलिमर प्लास्टिक नोट (Polymer Notes) की छपाई में विशेषज्ञ। |


