21 साल का रिकॉर्ड- जो बना स्पीकर, नहीं कर पाया लोकसभा चुनाव में वापसी
Tuesday, May 07, 2019 - 02:30 PM (IST)
नई दिल्लीः लोकसभा अध्यक्ष को लेकर बड़ा ही दिलचस्प तथ्य सामने आया है। पिछले 21 सालों में जो भी लोकसभा का अध्यक्ष बना, उनकी संसद के निचले सदन में फिर से एंट्री नहीं हुई। किसी न किसी वजह से स्पीकर फिर से लोकसभा चुनाव में फिर एंट्री नहीं कर पाए। किसी को टिकट नहीं मिला तो कोई चुनाव ही नहीं लड़ पाया। इस लिस्ट में ताजा उल्लेख जिसका वो है ताई सुमित्रा महाजन का। सुमित्रा महाजन 16वीं लोकसभा में स्पीकर रही हैं। भाजपा ने इस बार इंदौर से सुमित्रा महाजन को टिकट नहीं दिया, हालांकि उनके दिल में कहीं न कहीं चुनाव लड़ने की चाह थी।
एक नजर ऐसे लोकसभा स्पीकर पर जो नहीं कर पाए वापिसी
जीएमसी बालयोगी
साल 1999 अक्तूबर में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तो तेलुगु देशम पार्टी के नेता जीएमसी बालयोगी स्पीकर बने। 3 मार्च 2002 को आंध्र प्रदेश के कैकलुर में एक हेलिकॉप्टर हादसे में उनका निधन हो गया, तब उनकी उम्र मात्र 50 साल की थी। बालयोगी इससे पहले भी वाजपेयी की सरकार में स्पीकर रह चुके थे।
मनोहर जोशी
जीएमसी बालयोगी के निधन के बाद शिवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी को सर्वसम्मति से स्पीकर चुना गया। 2 साल 23 दिनों तक स्पीकर रहने के बाद जोशी ने 2004 में मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से चुनाव लड़ा लेकिन उनकी हार हुई, हालांकि उनकी सियासी पकड़ काफी मजबूत थी लेकिन फिर भी उनको शिकस्त मिली। इसके बाद वे दो साल तक संसदीय राजनीति से दूर रहे। 3 अप्रैल 2006 को पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए भेजा।
सोमनाथ चटर्जी
2004 में यूपीए सत्ता में आई और कांग्रेस नेता डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तब सोमनाथ चटर्जी को लोकसभा स्पीकर चुना। वह पश्चिम बंगाल की बोलपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर आए थे। 2008 में उनका सीपीएम से टकराव हो गया। दरअसल 2008 के मध्य में तत्कालीन यूपीए सरकार अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील पर समझौता कर रही थी, सीपीएम इस डील का विरोध कर रही थी जबकि सोमनाथ चटर्जी इस डील के समर्थन में थे। 23 जुलाई 2008 को सीपीएम ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया इसके बाद अगस्त 2008 में उन्होंने घोषणा कर दी कि सरकार का कार्यकाल खत्म होने के बाद वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। इसके बाद वे राजनीति से दूर रहे और 13 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया।
मीरा कुमार
यूपीए ने 2009 में जोरदार वापिसी की और डॉ मनमोहन सिंह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मीरा कुमार को कैबिनेट मंत्री बनाया। पर कुछ ही दिनों बाद मीरा कुमार को लोकसभा का स्पीकर चुन लिया गया। मीरा कुमार देश को पहली महिला स्पीकर और पहली दलित स्पीकर बनने का गौरव हासिल हुआ। 2009 से 2014 तक वे लोकसभा स्पीकर रहीं। 2014 में उन्होंने चुनाव लड़ा लेकिन वे भाजपा के छेदी पासवान से हार गई। हालांकि इश बार फिर से वे मैदान में हैं और अपने पुराने प्रतिद्वंदी भाजपा के छेदी पासवान से उनका सामना है। अगर इस बार मीरा कुमार जीत जाती हैं तो वे इस रिकॉर्ड को तोड़ने में सफल रहेंगी।
सुमित्रा महाजन
2014 के लोकसभा चुनाव में बहुमत के साथ भाजपा ने सत्ता में वापिसी की और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। इंदौर लोकसभा सीट से लगातार 8 बार चुनाव जीतने वाली सुमित्रा महाजन को स्पीकर बनाया गया। बेहद सरल और मृदुल स्वभाव के लिए जानी जाती ताई सुमित्रा महाजन ने बाखूबी स्पीकर के कार्यभर को संभाला। कभी प्यार तो कभी गुस्से से उन्होंने सांसदों को सीख दी। महाजन 2019 लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं लेकिन वे भाजपा की अघोषित उम्र सीमा को पार कर चुकी हैं। दरअसल सुमित्रा महाजन 76 साल की हो चुकीं हैं। इंदौर से अपना नाम घोषित न होने पर और पार्टी की दुविधा को समझते हुए सुमित्रा महाजन ने खुद ही ऐलान कर दिया कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगी।