अमेरिकी NSA बोल्टन ने भी लगाई ट्रंप को फटकारः कहा-भारत पर टैरिफ का फैसला पड़ेगा भारी, एक गलती से बर्बाद हो जाएगा अमेरिका
punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 07:19 PM (IST)

Washington: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की आक्रामक टैरिफ नीति पर करारा प्रहार किया है। बोल्टन ने आरोप लगाया कि ट्रंप की आर्थिक नीतियों ने भारत-अमेरिका संबंधों को दशकों पीछे धकेल दिया और अनजाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस और चीन के और करीब ला दिया। जॉन बोल्टन ने कहा- "व्हाइट हाउस की टैरिफ नीति विनाशकारी है।" "इसने पश्चिम के दशकों के प्रयासों को खत्म कर दिया है, जो भारत को रूस से दूर लाने और चीन के प्रभाव से बचाने के लिए किए गए थे।" "आज नतीजा यह है कि बीजिंग और मॉस्को दोनों नई दिल्ली के और करीब आ रहे हैं।" अमेरिकी NSA बोल्टन ने ट्रंप को फटकारते हुए कहा कि भारत पर टैरिफ का फैसला भारी पड़ेगा और इस एक गलती से अमेरिका बर्बाद हो सकता है।
बोल्टन की यह टिप्पणी चीन के तियानजिन में आयोजित 25वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के बाद आई। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अलग-अलग मुलाकात की। इन बैठकों ने यह संदेश दिया कि भारत अमेरिकी दबाव के बावजूद मॉस्को और बीजिंग से अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है ।
अमेरिका की टैरिफ नीति से भारत पर असर
- अमेरिका ने भारतीय आयातों पर 50% टैरिफ लगाया है।
- इसके साथ ही रूस से खरीदे जाने वाले कच्चे तेल पर 25% अतिरिक्त शुल्क भी जोड़ा गया।
- भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह बड़ा आर्थिक झटका माना जा रहा है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि इस नीति से भारत की ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक व्यापार संतुलन दोनों प्रभावित हुए हैं।
रूस-चीन की रणनीति
बोल्टन का कहना है कि चीन और रूस, दोनों ही देशों ने इस स्थिति का फायदा उठाया है। रूस भारत को सस्ते दाम पर कच्चा तेल उपलब्ध करा रहा है। चीन खुद को अमेरिका के विकल्प के रूप में पेश कर रहा है और भारत को साथ लाने की कोशिश कर रहा है। बोल्टन ने चेतावनी दी कि इससे पूर्वी एशिया में भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है और अमेरिका की रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है। बोल्टन ने ट्रंप पर सीधा आरोप लगाया कि उनकी "विनाशकारी टैरिफ नीति" ने दशकों की अमेरिकी कूटनीति को नष्ट कर दिया है। अब भारत न केवल रूस और चीन की ओर झुक रहा है बल्कि SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी पश्चिम के मुकाबले एक वैकल्पिक धुरी को मजबूत कर रहा है।