पढ़िए, ट्रिपल तलाक विधेयक में किए गए कौन से 3 संशोधन

Friday, Aug 10, 2018 - 08:21 AM (IST)

नई दिल्ली: सरकार ने वीरवार को मुस्लिमों में तीन तलाक से जुड़े एक प्रस्तावित कानून में आरोपी को सुनवाई से पहले जमानत जैसे कुछ संरक्षणात्मक प्रावधानों को मंजूरी दे दी। सरकार ने इस कदम से इन चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है कि तीन तलाक की परंपरा को अवैध घोषित करने तथा पति को तीन साल तक की सजा देने वाले इस प्रस्तावित कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है।

विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा कि केंद्रीय कैबिनेट ने ‘मुस्लिम विवाह महिला अधिकार संरक्षण विधेयक’ में तीन संशोधनों को मंजूरी दी। इस विधेयक को लोकसभा द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है और यह राज्यसभा में लंबित है। संसद के मानसून सत्र का शुक्रवार को अंतिम दिन है और सरकार राज्यसभा में संशोधन पेश कर सकती है। अगर विधेयक ऊपरी सदन में पारित हो जाता है तो इसे संशोधन पर मंजूरी के लिए वापस लोकसभा में पेश करना होगा।

ये किए गए 3 संशोधन

  • प्रस्तावित कानून ‘गैरजमानती’ बना रहेगा लेकिन आरोपी सुनवाई से पहले भी मैजिस्ट्रेट से जमानत मांग सकते हैं। प्रसाद ने कहा कि प्रावधान इसलिए जोड़ा गया है ताकि मैजिस्ट्रेट ‘पत्नी को सुनने के बाद’ जमानत दे सकें। सूत्रों ने कहा कि मैजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेंगे कि जमानत केवल तब दी जाए जब पति विधेयक के अनुसार पत्नी को मुआवजा देने पर सहमत हो। विधेयक के अनुसार, मुआवजे की राशि मैजिस्ट्रेट द्वारा तय की जाएगी।
     
  • पुलिस केवल तब प्राथमिकी दर्ज करेगी जब पीड़ित पत्नी, उसके किसी करीबी संबंधी या शादी के बाद उसके रिश्तेदार बने  किसी व्यक्ति द्वारा गुहार लगाई जाती है। मंत्री ने कहा, ‘यह इन चिंताओं को दूर करेगा कि कोई पड़ोसी भी प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। यह दुरुपयोग पर लगाम कसेगा।’
     
  • तीसरा संशोधन तीन तलाक के अपराध को ‘समझौते के योग्य’ बनाता है। अब मैजिस्ट्रेट पति-पत्नी के बीच विवाद सुलझाने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

Seema Sharma

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