नोट पर महात्मा गांधी की पहली तस्वीर कब छपी थी ? जानिए रोचक बातें
punjabkesari.in Monday, Oct 02, 2023 - 02:51 PM (IST)

नेशनल डैस्क : भारत के लिए 2 अक्तूबर का दिन बेहद ऐतिहासिक है, क्योंकि हर साल इसे गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। गांधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। आज देश उनकी 154वीं जयंती मना रहा है। इस खास मौके पर पूरा देश उनके द्वारा किए गए महान कार्यों को याद करता है। महात्मा गांधी ने भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह बिना हिंसा अपनाए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने में विश्वास रखते थे, जिसमें वह सफल भी हुए। यही कारण है कि आज नोटों पर उनकी तस्वीर देखने को मिलती है। आइए जानते हैं कि गांधी की पहली तस्वीर नोटों पर कब और कैसे छपी थी और क्या इसका इतिहास है-
नोट पर छपी फोटो कार्टून नहीं, रियल है
आप अगर ये सोचते हैं कि बैंकनोटों पर जो गांधी की तस्वीर लगी है वो एक कार्टून है तो फिर आप गलत सोच रहे हैं। जी हां...नोट पर छपी गांधी की तस्वीर कैमरे के द्वारा ही ली गई है, जिसे 1946 में खींचा गया था। हालांकि, इस फोटो में गांधी ब्रिटिश राजनीतिज्ञ लॉर्ड फ्रेडरिक विलियम पेथिक-लॉरेंस के साथ खड़े थे, लेकिन जब बैंक नोटों के लिए गांधी की तस्वीर को चुना गया तो उसे बीच से काट लिया गया। यह तस्वीर इसलिए चुनी गई थी क्योंकि इसमें गांधी मुस्कुराते हुए भी नजर आ रहे थे। हालांकि, ये तस्वीर तब किस फोटोग्राफर ने खींची थी, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई थी।
नोट पर पहली बार कब छपी थी तस्वीर
अब आपके मन में यह सवाल होगा कि आखिर गांधी की फोटो नोट पर पहली बार कब छपी थी, तो यह भी हम आपको बता देते हैं। दरअसल, पहली बार गांधी 1969 में इंडियन करेंसी पर दिखाई दिए। इसे उनकी 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में जारी किया गया था। इस नोट पर RBI गवर्नर LK झा के हस्ताक्षर थे और इसमें महात्मा गांधी को बैठा दिखाया गया था। पीछे सेवाग्राम आश्रम छपा था। फिर 1987 में, गांधी की तस्वीर वाले 500 रुपये के नोटों की एक सीरीज जारी की गई थी।
गांधी से पहले इसकी छपती थी फोटो
रोचक बात यह है कि आजादी के 40 साल बाद गांधी की तस्वीर नोट पर आई थी। इससे पहले बैंकनोट पर ब्रितानी हुकूमत की छाप थी। जैसे ही भापत आजाद हुआ तो कुछ महीने बाद नोटों पर किंग जॉर्ज VI की तस्वीर छपने लग गई। RBI ने किंग जॉर्ज की तस्वीर वाले नोटों को छापना जारी रखा था। फिर साल 1949 में भारत सरकार ने 1-रुपए के नोट का अपना नया डिजाइन जारी किया। इसी के साथ किंग जॉर्ज को सारनाथ में अशोक स्तंभ के शेर की राजधानी के प्रतीक से बदल दिया गया। फिर सोचा गया कि किंग जॉर्ज VI के चित्र को महात्मा गांधी के चित्र से बदल दिया जाए। तब कई डिजाइन तैयार किए गए थे, लेकिन अंत में गांधी पोर्ट्रेट के बदले सारनाथ में शेर की राजधानी की पसंद के लिए सहमति चली गई।
फिर हुई नोट पर गांधी की तस्वीर प्रमानेंट
1990 के दशक तक RBI ने महसूस किया कि डिजिटल प्रिंटिंग, स्कैनिंग, फोटोग्राफी और जेरोग्राफी जैसी तकनीकों में प्रगति को देखते हुए मुद्रा नोटों पर पारंपरिक सुरक्षा विशेषताएं अपर्याप्त थीं। माना जा रहा था कि मानव चेहरे की तुलना में निर्जीव वस्तुओं को चुनना अपेक्षाकृत आसान होगा। गांधी को उनकी राष्ट्रीय अपील के कारण चुना गया और 1996 में, RBI ने अशोक स्तंभ बैंक नोटों को बदलने के लिए एक नई 'महात्मा गांधी सीरीज' लॉन्च की। फिर RBI ने 2016 में 'महात्मा गांधी नई सीरीज के बैंकनोटों की घोषणा की। इस सीरीज में गांधीजी का चित्र पहले की तरह ही है, लेकिन अतिरिक्त सुरक्षा सुविधाओं के अलावा, नोटों के पीछे स्वच्छ भारत अभियान का लोगो भी जोड़ा गया है।
- नोटों को डिजाइन करने की जिम्मेदारी RBI के मुद्रा प्रबंधन विभाग की है
- इसे केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार से डिजाइनों के लिए मंजूरी लेनी होती है।
- RBI अधिनियम, 1934 की धारा 25 के अनुसार, बैंकनोटों का डिजाइन, रूप और सामग्री ऐसी होगी जिसे केंद्रीय बोर्ड की ओर की गई सिफारिशों पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार हरी झंडी दे सकती है।