इलेक्शन डायरीः ...जब लालू ने रोका मुलायम का रास्ता और देवगौड़ा बने पी.एम.

punjabkesari.in Wednesday, Mar 27, 2019 - 03:19 AM (IST)

नई दिल्ली/जालंधर(नरेश कुमार): 1996 में जब अटल बिहारी वाजपेयी संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाए व उन्हें इस्तीफा देना पड़ा तो इसके बाद केंद्र में नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए सियासी जोड़-तोड़ की शुरूआत हो गई।
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उस दौर में विपक्ष में एक बार फिर वी.पी. सिंह के नाम पर सहमति बनी लेकिन वी.पी. सिंह ने उस समय प्रधानमंत्री बनने से इंकार कर दिया। इस बीच विपक्ष ने उस समय पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु के नाम पर सहमति बनाई और वाम मोर्चे से उनके नाम पर बनी सहमति के बारे में जानकारी ली गई। वाम मोर्चे ने अपनी पोलित ब्यूरो की बैठक के बाद इस पर अंतिम फैसला लेने की बात कही लेकिन पोलित ब्यूरो की बैठक के बाद वाम मोर्चे ने ज्योति बसु को भी प्रधानमंत्री बनाने से इंकार कर दिया।
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इस बीच लालू प्रसाद यादव का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए रखा गया लेकिन उनके नाम पर इसलिए सहमति नहीं बन सकी क्योंकि उनका नाम चारा घोटाले में दर्ज था। लिहाजा ऐसी स्थिति में मुलायम सिंह यादव मजबूत उम्मीदवार के तौर पर उभरे और पूरा विपक्ष उनके नाम पर सहमत था लेकिन लालू प्रसाद यादव और शरद यादव के साथ-साथ वी.पी. सिंह ने मिलकर मुलायम सिंह यादव के नाम पर वीटो लगा दिया और मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए।
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इस सारी उठापटक के बीच विपक्ष ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच.डी. देवगौड़ा का नाम सुझाया और उनके नाम पर सहमति बन गई। कांग्रेस भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए किसी को भी प्रधानमंत्री बनाने के लिए तैयार थी लिहाजा एच.डी. देवगौड़ा के तीसरे मोर्चे को कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया और देवगौड़ा इस प्रकार देश के 14वें प्रधानमंत्री बने। देवेगौड़ा की सरकार 1 जून, 1996 से 21 अप्रैल, 1997 तक सत्ता में रही लेकिन उसके बाद देवगौड़ा को प्रधानमंत्री पद छोडऩा पड़ा।


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Pardeep

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