इलेक्शन डायरी: जब मैदान में जीत कर शिमला में टेबल पर हारा भारत

Monday, May 06, 2019 - 10:27 AM (IST)

इलेक्शन डायरी(नरेश कुमार): दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आज भी पाकिस्तान को तोड़ कर बंगलादेश बनाने का श्रेय दिया जाता है। हालांकि उस दौरान भी उनसे एक ऐसी चूक हुई जब भारत मैदान में जीती हुई लड़ाई को समझौते के टेबल पर आ कर हार गया। उस दौरान भारत द्वारा दिखाई गई दरियादिली का दर्द आज तक देश को सहना पड़ रहा है। 

16 दिसम्बर 1971 को भारतीय फौज ने पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी और पाकिस्तान के 96,000 से ज्यादा सैनिक युद्धबंदी बना लिए गए थे लेकिन इस जंग के बाद जब दोनों देशों के मध्य 2 जुलाई 1972 को शिमला समझौता हुआ तो इस समझौते में दोनों तरफ बंदी बनाए गए सैनिकों को छोडऩे की सहमति बनी। इसके अलावा इस समझौते के दौरान ही यह तय हुआ कि दोनों देश जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का सम्मान करेंगे और नियंत्रण रेखा पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा। 

इसी समझौते के दौरान तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने नियंत्रण रेखा को ही वास्तविक सीमा रेखा मैंने की जुबानी सहमति भी दी। भारत ने भुट्टो की मीठी बातों में आ कर पाकिस्तान के सारे युद्धबंदी रिहा कर दिए जबकि पाकिस्तान ने भारत के सिर्फ 617 युद्धबंदियों को रिहा किया और 54 युद्धबंदियों में से कई आज तक पाकिस्तान की जेलों में हैं। 

भारत 1971 के बाद इस मामले को कई बार पाकिस्तान के समक्ष उठा चुका है लेकिन आज तक इसका सार्थक नतीजा नहीं निकल सका है। भारत ने यदि उस समय 96,000 पाक सैनिकों के बदले में दबाव बनाने की कूटनीति की होती तो पाकिस्तान को अपनी शर्तों पर झुकाया जा सकता था और इससे दक्षिण एशिया में स्थायी शांति की स्थापना हो सकती थी लेकिन शिमला समझौता मैदान में जीत के बाद टेबल पर की एक बड़ी चूक साबित हुआ।     

Pardeep

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