कांग्रेस के हाथ से यूं फिसलता गया बर्फीला रेगिस्तान लद्दाख

Monday, Mar 25, 2019 - 08:04 PM (IST)

जम्मू (उदय भास्कर): आजादी के बाद देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल होने के साथ जम्मू कश्मीर में भौगोलिक परिस्थितियों एवं जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए 6 लोकसभा सीटें बनाई गईं जिसमें बर्फीला रेगिस्तान लद्दाख क्षेत्र भी है। लद्दाख सीट में सिर्फ 2 जिले और 4 विधानसभा क्षेत्र हैं। इस ऊंचाई वाले लोकसभा क्षेत्र में कभी कांग्रेस का दबदबा रहा परन्तु धीरे-धीरे लद्दाख में कांग्रेस का वर्चस्व कम होता गया और लद्दाख की लोकसभी सीट साल 2009 में कांग्रेस के हाथ से खिसक गई और 2014 के चुनावों में बीजेपी ने पहली बार बर्फीले रेगिस्तान में अपना परचम लहराया।


देश में जब 1967 में चुनाव हुए तो लद्दाख में उस समय लगभग 52 हजार मतदाता थे और इस सीट पर कौशक बकुला बिना चुनाव लड़े जीत गए और 1971 में हुए चुनावों में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार सोनम वांगडू को लगभग 4 हजार वोटों से हरा दिया। लद्दाख सीट पर कांग्रेस की पार्वती देवी, पी नम्गयाल दो बार सांसद रहे जबकि तीन बार निर्दलीयों का इस सीट पर कब्जा रहा। लद्दाख में बौद्ध और मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या अधिक है और अभी तक हुए लोकसभा चुनावों में नेशनल कांफ्रेस अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को टक्कर देती रही और उसे 1998 और 1999 के चुनावों में सईद हुसैन और हसन खान के रूप में विजयी भी मिली। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर साल 2004 में चुनाव जीत चुके थुपस्टन चिंवाग को भाजपा ने 2014 के चुनावों में उम्मीदवार बनाया और वह दोबारा लोकसभा के लिए चुने गए।


जनसंख्या के साथ बढ़े वोटर
लद्दाख में 1967 के चुनावों में लगभग 82 हजार के करीब जनसंख्या और 52 हजार के करीब मतदाता थे। पिछले पांच दशक में लद्दाख में जनसंख्या और मतदाताओं में वृद्धि दर्ज की गई। साल 2014 में हुए विधानसभा चुनावों के समय लेह और कारगिल जिले में मतदाताओं की संख्या बढ़ कर 1,60,926 तक पहुंच गई थी जबकि इस साल 18 साल की उम्र पार करने वाले नए मतदाताओं के जुडऩे से और वृद्धि हुई है और जनसंख्या 2 लाख 90 हजार 572 तक पहुंच चुकी है।
 
 

Monika Jamwal

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