जानिए, क्या है गडकरी के बयान के पीछे का सच? जिस पर मचा हंगामा

Tuesday, Aug 07, 2018 - 12:54 AM (IST)

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): एक तरफ केंद्र सरकार का दावा है कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया आदि योजनाओं से देश में रोज़गार बढ़ रहा है वहीं उसके अपने वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह कह कर हंगामा खड़ा कर दिया है की देश में नौकरियां ही नहीं है। यह बयान उन्होंने औरंगाबाद में मराठा समुदाय द्वारा किए जा रहे आरक्षण की मांग के सन्दर्भ में कहा।

गडकरी का बयानः

  • आरक्षण मिल भी जाये पर नौकरियां कहा हैं ? 
  • बैंकों में आईटी के कारण नौकरियां नहीं है। 
  • सरकार में भर्ती बंद है।

क्या गडकरी जो कह रहे हैं वो बिलकुल सच है। ऐसा बिलकुल भी नहीं है। इसी साल समय समय पर संसद में सरकार ने माना है कि लगभग 25 लाख पद केंद्र और राज्यों में खाली पड़े हैं।

  • 6 फरवरी 2018 (राज्य सभा ): हेल्थ सेक्टर में 1.5 लाख पद खाली
  • 8 फरवरी 2018(राज्य सभा ): 10 लाख शिक्षकों के पद खाली 
  • 14,19 मार्च (राज्य सभा ): सेना में 1.2 लाख पद खाली
  • 16 मार्च 2018 (राज्य सभा ): रेलवे में 2.5 लाख पद खाली
  • 27 मार्च 2018 (राज्यसभा ): पुलिस में 4.4 लाख पद खाली
  • 28 मार्च 2018(लोक सभा): डाक विभाग में 54000 पद खाली

विपक्ष को मिल गया बैठे बैठाए मुद्दा
गडकरी के इस ब्यान से कांग्रेस को बैठे बिठाये मुद्दा मिल गया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा है कि गडकरी जी ने भी वही पूछा है हर भारतीय पूछ रहा है। लेकिन यह कहना कि मोदी सरकार ने वायदा किया था कि हर साल 2 करोड़ नौकरी देंगे वो सरासर झूठ है। प्रधानमंत्री मोदी ने आज तक कहीं भी यह नहीं कहा है कि वो इतनी संख्या में नौकरी देंगे। हमें ऐसा कोई भी बयान नहीं मिला है। 21 नवंबर 2013 में आगरा की शंखनाद रैली में उन्होंने कांग्रेस की केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि कांग्रेस ने एक करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था जो उन्होंने निभाया नहीं।

यहां तक कि 2014 के भाजपा घोषणापत्र में भी कहीं ज़िक्र नहीं है कि सरकार सालाना इतनी नौकरियां देगी। टूरिज्म, मैन्युफैक्चरिंग, आईटी अदि सेक्टरों से नौकरियों की सम्भावना है। पूरे घोषणापत्र में कहीं भी भाजपा ने अपनी जवाबदेही तय नहीं की है पर प्रधानमंत्री मोदी को इस प्रश्न का उत्तर ज़रूर देना होगा कि देश की 65% जनसंख्‍या बेरोज़गार बैठी है। नौकरियां हैं पर भर्तियां नहीं हो रहीं। ऐसे में केंद्रीय मंत्री का हंसी हंसी में कहना कि नौकरियां नहीं है किसी क्रूर और घटिया मज़ाक से कम नहीं है।

vasudha

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