ऑफ द रिकॉर्डः शरद पवार क्या चाहते हैं?

Tuesday, May 07, 2019 - 08:10 AM (IST)

नेशनल डेस्कः राकांपा सुप्रीमो शरद पवार विपक्षी दलों में एकता करवाने के प्रयासों को लेकर सबसे आगे रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उनके निवास स्थान पर उनके साथ कई बैठकें कीं और लोकसभा चुनावों के लिए महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे को लेकर उन्हें प्रभार सौंपा। पवार ने इस बात को यकीनी बनाने के लिए कड़ी मेहनत की कि कांग्रेस और ‘आप’ के बीच दिल्ली की 7 सीटों पर समझौता हो जाए मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब यह चर्चा है कि पवार बिहार में कटिहार से कांग्रेस उम्मीदवार तारिक अनवर को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे। यहीं बस नहीं, उन्होंने बिहार में राजद के उम्मीदवारों को हराने के लिए 2 अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों को खड़ा किया है। अब यह बात स्पष्ट हुई है कि शरद पवार ने तारिक अनवर के खिलाफ कटिहार से पूर्व विधायक मोहम्मद शकूर को पार्टी चुनाव चिन्ह भी दिया।

वहां भाजपा के दुलार चंद गोस्वामी और तारिक अनवर के बीच सीधा मुकाबला था लेकिन पवार ने वहां एक मुस्लिम उम्मीदवार को खड़ा कर दिया है ताकि तारिक अनवर के मुस्लिम वोटों को काटा जाए। जब कांग्रेसी नेताओं ने पवार से सम्पर्क किया तो वह एकांत में चले गए और नामांकन पत्र वापस लेने की तिथि समाप्त होने के बाद ही सामने आए। यहीं बस नहीं, राकांपा ने अपने उम्मीदवार की मदद के लिए भारी फंड भी भेजा और तारिक अनवर की हार को यकीनी बनाने के लिए अपने पार्टी वर्करों को भी वहां भेजा।

पवार ने राजद उम्मीदवार शिवचरण राम की वोटें काटने के लिए हाजीपुर से देसाई चौधरी को खड़ा किया और राजद के सईद फजल अली की जीत की संभावना को नुक्सान पहुंचाने के लिए श्योहर से शमीम अली को मैदान में उतारा है। बिहार में राकांपा कोई बड़ी ताकत नहीं मगर वह हताशापूर्ण यह बात साबित करने पर तुली हुई है कि अगर आप हमें लोकसभा की सीट नहीं देते तो हम आपको हराएंगे। किसी को यह मालूम नहीं कि बिहार में पवार की पार्टी ऐसा क्यों कर रही है और ऐसी ही कार्रवाई के लिए महाराष्ट्र में प्रकाश अम्बेदकर-ओवैसी पर आरोप लगाए जा रहे हैं।

Seema Sharma

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