रोहतांग पास में बर्फ का हो गया ये हाल, जानें क्या है वजह

Wednesday, Jun 08, 2016 - 06:56 PM (IST)

मनाली: इस साल रोहतांग पास में बर्फ का रंग काला हो रहा है। यह हाल तब है जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा बर्फ को पिघलने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। 13,050 फुट ऊंचे पहाड़़ों के बर्फ पिछले वर्ष की तुलना में न केवल अधिक तेजी से पिघल रहे हैं बल्कि इनका रंग भी काला पड़ रहा है।
 
सूत्रों के अनुसार, सामान्य तौर पर पूरे जून माह में रोहतांग बर्फ से ढका रहता है और जुलाई में बर्फ पिघलनी शुरू होती है, लेकिन इस वर्ष यह पूरी तरह से गायब है और कुछ ही बर्फ के धब्बों को देखा जा सकता है जो शायद अगले 10-15 दिनों में गायब हो जाए। जितने भी बर्फ के पहाड़ बचे हैं सब काले हो रहे हैं। इससे पिघलने की गति में तेजी आ रही है।
 
एनजीटी ने बताया यह कारण
एनजीटी ने रोहतांग क्षेत्र में प्रदूषण बढऩे के पीछे, पर्यटकों की अधिक संख्या, अनगिनत गाडिय़ों के आने जाने और अनियमित पर्यटन क्रियाकलापों को कारण बताया। उसने आगे बताया कि हार्स राइडिंग, स्कीइंग, ढाबाओं, स्नो स्कूटरों व अन्य गाडिय़ों की वजह से बर्फ का रंग काला हो गया है और क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहा है। ट्रिब्युनल ने क्षेत्र में कामर्शियल क्रियाकलापों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही हिमाचल सरकार से मास्टर प्लान तैयार करने और एक्टिवीटीज को नियमित करने को कहा था। इसने रोहतांग जाने वाले गाडिय़ों की संख्या भी सीमित कर दी थी।
 
पहली बार जून में हुआ ये हाल
80 वर्षीय स्थानीय निवासी भाग चंद ठाकुर ने कहा, मुझे लगता है ऐसा पहली बार हुआ है जब जून महीने में रोहतांग बर्फ के बिना है। अभी रोहतांग आने के लिए कुछ ही गाडिय़ों को अनुमति मिली है व सभी टूरिज्म एक्टीविटीज प्रतिबंधित है। ढाबाओं को हटा दिया गया है। तब भी काले हो रहे बर्फ के पहाड़ तेजी से पिघल रहे हैं।
 
कार्बन उत्सर्जन बताई जा रही वजह
जेएनयू के प्रोफेसर डॉ. मिलाप धंद शर्मा ने कहा कि पिछले 15,000 वर्षों में रोहतांग के आस-पास किसी भी ग्लेशियर की मौजूदगी का पता नहीं चला है और बर्फ में कार्बन भी नहीं है। उनका दावा है कि बर्फ पर जो काली परत है वह कार्बन नहीं है। हालांकि अध्ययन के अनुसार, कार्बन उत्सर्जन की वजह से यहां प्रदूषण फैल रहा है, और रोहतांग के बर्फ तेजी से पिघल रहे हैं।
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