विधानसभा चुनाव से पहले CAA को लेकर 2 गुटों में बंटी पश्चिम बंगाल BJP

Wednesday, Feb 19, 2020 - 11:32 AM (IST)

कोलकाता: दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार के बाद भाजपा 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल चुनाव की तैयारियों में जुट गई है लेकिन इस विधानसभा चुनाव में रणनीति क्या हो, इसको लेकर पार्टी की राज्य इकाई 2 गुटों में बंटी नजर आ रही है। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के मुद्दे पर दिल्ली चुनाव में हुए नुक्सान से सीख लेते हुए भाजपा को राज्य में केंद्र की योजनाओं के आधार पर चुनावी बिसात बिछानी चाहिए जबकि दूसरे गुट का मानना है कि पार्टी को CAA पर अपना आक्रामक रुख नहीं छोड़ना चाहिए और पुरानी नीतियों के आधार पर ही चुनाव में उतरना चाहिए।

 

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी गुड गवर्नैंस के मुद्दे पर चुनाव में उतरी और 62 सीटें जीतकर तीसरी बार सत्ता हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 और दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके 9 महीने बाद दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में नतीजे बिल्कुल उलट आए इसलिए हम इसे हल्के में नहीं ले सकते कि बंगाल में हमने 18 लोकसभा सीटें जीती थीं तो हम विधानसभा में भी उतनी ही सीटें जीतेंगे। हमें अपनी रणनीति बदलनी होगी।

 

विधानसभा के चुनाव बिल्कुल अलग होते  हैं  इसलिए हमें उसी हिसाब से रणनीति बनानी होगी। यह जरूरी नहीं है कि जिस रणनीति के सहारे लोकसभा चुनाव लड़े गए, वही विधानसभा में भी कारगर हो। भाजपा नेता ने कहा कि हमें प. बंगाल में अगर सत्ता में आना है तो विकल्प के तौर पर दूसरे मुद्दों को भी साथ लेकर चलना होगा। खासतौर पर गुड गवर्नैंस के मॉडल को। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल की ममता सरकार राज्य में संशोधित नागरिकता कानून (सी.ए.ए.) को लागू नहीं कर रही है और न ही घुसपैठियों को बाहर कर रही है जबकि भाजपा लगातार इसे लागू करने के लिए दबाव बना रही है।

 

आक्रामक रुख के पक्ष में एक धड़ा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष से जुड़े एक धड़े की इससे अलग राय है। इसके मुताबिक पश्चिम बंगाल में पार्टी की रणनीति में बदलाव की जरूरत नहीं क्योंकि इसी आक्रामक राजनीति के दम पर ही पार्टी को सकारात्मक नतीजे मिले। इस धड़े का मानना है कि तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों से मुकाबला करने के लिए थोड़ी आक्रामकता जरूरी है। लोकसभा चुनाव के दौरान  CAA और NRC जैसे मुद्दों पर हमने जो रुख अपनाया उसका फायदा पार्टी को मिला। अगर हम अपनी रणनीति बदलते हैं तो जनता और पार्टी के कार्यकर्त्ताओं में ऐसा संदेश जाएगा कि हम पीछे हट रहे हैं।

Seema Sharma

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