PM मोदी ने अर्थव्यवस्था बेहाल की, हम 'न्याय' से नई जान फूंकेंगेः राहुल गांधी

Thursday, Mar 28, 2019 - 03:38 PM (IST)

नेशनल डेस्कः लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में चुनावी सरगर्मियां अपने चरम पर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘न्यूनतम आय योजना’ (न्याय) के अपने वादे से भाजपा के पस्त होने का दावा करते हुए गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर अर्थव्यवस्था में फिर से नई जान फूंकी (रिमोनटाइज) जाएगी जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने बेहाल (डिमोनटाइज) कर दिया है। गांधी ने 11 अप्रैल से शुरू होने जा रहे 17वें लोकसभा चुनाव से पहले एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा कि ‘न्याय’ योजना का एक मकसद देश के 20 प्रतिशत सबसे गरीब लोगों को साल में 72 हजार रुपए देना है और दूसरा मकसद बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पिछले पांच वर्षों में नोटबंदी जैसी विफल नीतियों और गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) के खराब क्रियान्वयन से अर्थव्यवस्था को बदहाल कर दिया। असंगठित क्षेत्र इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

राहुल गांधी के इंटरव्यू के प्रमुख अंश

  • न्याय के दो मकसद हैं। पहला, समाज में सबसे निचले स्तर के 20 प्रतिशत परिवारों को न्यूनतम आय की गारंटी देना है। दूसरा, अर्थव्यवस्था को दुरूस्त (रिमोनटाइज) करना है जिसे मोदी जी ने बेहाल (डिमोनटाइज) कर दिया है।
  • इस योजना का नाम ‘न्याय’ रखे जाने का एक कारण है। हमने इसका नाम ‘न्याय’ क्यों चुना? क्योंकि नरेंद्र मोदी ने पांच वर्षों में गरीबों से सिर्फ और सिर्फ छीना, उन्हें कुछ नहीं दिया।
  • प्रधानमंत्री ने किसानों से छीन लिया, छोटे और मंझोले कारोबारियों से छीन लिया, बेरोजगार युवकों से भी छीना है, माताओं और बहनों की बचत तक छीन ली। हम देश के वंचित तबके को वह लौटाना चाहते हैं जो मोदी जी ने उनसे छीना है।
  • ‘न्याय’ को परिवर्तनकारी और गरीबी पर आखिरी प्रहार करार देते हुए गांधी ने कहा कि यह योजना वित्तीय रूप से पूरी तरह क्रियान्वयन करने योग्य है और इसका नोटबंदी तथा जीएसटी की तरह जल्दबाजी में क्रियान्वयन नहीं किया जाएगा।
  • इस योजना से राजकोषीय घाटे की स्थिति खराब होने से जुड़ी कुछ अर्थशास्त्रियों की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर गांधी ने कहा, ‘‘नहीं, यह सही नहीं है।’’
  • पार्टी ने बड़ी संख्या में अर्थशास्त्रियों एवं विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया, कई कागजातों तथा इस विषय से जुड़ी शोध सामाग्रियों का अध्ययन किया गया तथा इसके क्रियान्वयन की संभावना पर पूरा मंथन करने के बाद इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने का फैसला हुआ।
  • यह पूछे जाने पर कि ‘न्याय’ का वादा भी लोकलुभावन है तो गांधी ने कहा, ‘‘यह लोकलुभावन कदम नहीं है जैसा कि कुछ आलोचक बताने की कोाशिश कर रहे हैं।’’
  • ‘न्याय’ योजना के बाद भाजपा बुरी तरह परेशान है।
  • अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना काम ठीक से किया होता तो अब तक गरीबी समाप्त हो चुकी होती।
  • भाजपा ने जिस तरह नोटबंदी और जीएसटी को जल्दबाजी में लागू किया, उस तरह से हम ‘न्याय’ को लागू नहीं करेंगे।
  • गरीबी खत्म करना ही एक बड़ी परियोजना है। ‘न्याय’ से देश में खपत और उत्पादन का शक्तिशाली आर्थिक चक्र शुरू होगा।

Seema Sharma

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