नायडू बोले, मैं भी कभी था हिंदी विरोधी, लेकिन आज अपनी राष्ट्रभाषा पर है गर्व

Saturday, Jun 24, 2017 - 04:13 PM (IST)

अहमदाबाद: अहमदाबाद के साबरमती गांधी आश्रम में महात्मा गांधीजी के जीवन के 100 अलग-अलग प्रसंगो पर बनी पुस्तक का लोकार्पण करने पहुंचे केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि हमारे देश में लोग जैसे अंग्रेजी के पीछे भागते हैं वो दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि हमारी मातृभाषा हमारी पहचान है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। जिस किताब का नायडू ने लोकार्पण किया वो गांधी के जीवन पर लिखी गई है। दरअसल किताब अंग्रेजी में थी, जिसके बाद नायडू ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि गांधीजी के जीवनशैली और उनका जीवन किसी भी इंसान के लिए हर एक समस्या का हल है। साथ ही उन्होंने आज की शिक्षा प्रणाली और उसमें इस्तेमाल होते अंग्रेजी भाषा पर भी कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि हमारे देश में शिक्षा में मातृभाषा और राष्ट्रभाषा पर महत्व देना चाहिए जिस तरह से अभिभावक अग्रेंजी भाषा को लेकर बच्चों पर जोर डालते हे वो ठीक नहीं है।

नायडू जुड़ेे थे हिंदी विरोधी अभियान से
उन्होंने अपने राजनीतिक संघर्ष के बारे में बात करते हुए कहा कि, वो नेल्लूर में हिंदी विरोधी अभियान में जुडे थे, और मातृभाषा के लिए हिंदी भाषा के बोर्ड पर कालिख पोती थी लेकिन 1993 में जब वे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बने तब पता चला कि उन्होंने कालिख हिंदी बोर्ड पर नहीं बल्कि अपने सर पर लगाई थीं क्योंकि अपनी भाषा का ज्ञान होना जरूरी है और इस पर गर्व होना चाहिए।

बता दें कि बैंगलुरु मेट्रो के साइन-बोर्ड में हिंदी के इस्तेमाल पर विवाद शुरू हो गया है। कन्नड़ समर्थक मेट्रो में लगने वाले साइन बोर्ड पर हिंदी के इस्तेमाल पर कड़ा विरोध जता रहे हैं। इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर भी अभियान शुरू हो गया है। #NammaMetroHindiBeda हैशटैग के साथ चलने वाले इस आभियान में अब तक 10 लाख से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं।

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