हमारी सरकार होती तो बुरहान वानी को मरने नहीं देते, जिंदा रखते : कांग्रेस

Friday, Jul 07, 2017 - 03:16 PM (IST)

श्रीनगर : कांग्रेस नेता सैफुदीन सोज़ ने शुक्रवार को बयान देते हुए कहा कि अगर उनकी सत्ता होती तो बुरहान वानी की कभी भी मृत्यु नहीं होती और वो आज जिंदा होता। सोज़ ने कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार होती तो हम वानी के साथ बातचीत कर मामले को सुलझा लेते। अगर मेरी सत्ता होती तो मैं कभी भी बुरहान वानी को मरने नहीं देता। मैं उससे बातचीत करता और उसे समझाता कि पाकिस्तान, कश्मीर और भारत के बीच दोस्ती हो सकती है, जिसमें वह भी अपनी भागीदारी निभा सकता था, लेकिन बुरहान अब मर चुका है और हमें कश्मीरियों के दर्द को समझना चाहिए।


 सोज़ द्वारा एक आतंकी के लिए हमदर्दी दिखाने पर भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि एक आतंकी के साथ आतंकियों जैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए। सोज ने शुक्रवार को कहा कि मेरे बस में होता तो बुरहान वानी को जिंदा रखता और उससे बातें करता।

इससे पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
यह पहला मौका नहीं है जब सोज ने विवादित बयान दिया है। इससे पहले भी एक कार्यक्रम में अधिवक्ता राम जेठमलानी के बयान के जवाब में उन्होंने कश्मीर घाटी में हालिया तनावों के लिए पाकिस्तान की जगह भारत को जिम्मेदार ठहराया था।


सैफुद्दीन साल 1983 में नेशनल कॉन्फ्रेंस से बारामूला लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर आए थे। इसके बाद साल 1990 में वह राज्यसभा में पहुंचे, साल 1997-98 में वह इंद्र गुजराल सरकार में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री बने। इसके बाद साल 1998-99 में देवेगौगड़ा सरकार में भी मंत्री रहे। वाजपेयी की सरकार सोज के वोट की वजह से गिर गई थी। बाद में वो कांग्रेस में शामिल हो गए।


साल 1999 में अटल बिहारी सरकार के खिलाफ वोट देने पर उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया थाण् साल 2003 में वह कांग्रेस में शामिल हुए और राज्यसभा पहुंचे। साल 2006 से 2009 तक वह मनमोहन सिंह की कैबिनेट में मंत्री रहे।

बुरहान को बनाया जा रहा है ढाल
पार्टियां भी अब बुरहान की मौत को भुनाने में लगी हुई है। 8 जुलाई 2016 को सेना ने जम्मू.कश्मीर के अनंनतनाग जिले में मुठभेड़ के दौरान बुरहान वानी को मार गिराया था। वानी के मारे जाने के बाद घाटी में सरकार और सेना के खिलाफ पत्थरबाजों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन करीब 53 दिनों तक चला जिसमें दो सैन्य अधिकारियों समेत 78 लोगों की जान चली गई थी। वानी की बरसी को गंभीर रूप से देखते हुए राज्य सरकार ने पहले ही अलगाववादी नेता सयैद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुख और यासिन मलिक को नजरबंद करने के आदेश दे दिए हैं। सरकार नहीं चाहती की घाटी में पहले की तरह हालात बने और कोई भी अलगाववादी नेता कश्मीरी युवाओं को भडक़ाए।

 

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