धरती से खत्म हो रहा पानी, संभल जाएं नहीं तो पछताएंगे

Monday, May 02, 2016 - 09:02 PM (IST)

जालंधर : जल नहीं होगा, तो कल नहीं होगा- आज नहीं सोचा तो हल नहीं होगा...धरती से लगातार खत्म हो रहा पानी आने वाले समय में बड़ी मुसीबत बन सकता है। इससे पहले पानी खत्म होने के संकेत हमारे सामने हैं। लोगों को पीने के लिए पानी काफी मुश्किल से मिल रहा है। हमारे देश में कई राज्य पानी की किल्लत झेल रहे हैं। महाराष्ट्र के लातूर में सूखे से ग्रस्त इलाकों में लोगों तक पानी पहुंचाने के लिए सरकार को पानी के लिए ट्रेन तक चलानी पड़ी। पानी के लिए लोग आपस में लड़ रहे हैं। कुएं, तालाब लगभग सूख गए हैं। कह सकते हैं कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए हो सकता हैं। 

 
धरती पर बचा है सिर्फ इतना पीने योग्य पानी 
पृथ्वी का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है। 1.6 प्रतिशत पानी जमीन के नीचे है और 0.001 प्रतिशत वाष्प और बादलों के रूप में है। पृथ्वी की सतह पर जो पानी है उसमें से 97 प्रतिशत सागरों और महासागरों में है जोकि नमकीन है और पीने के काम नहीं आ सकता। केवल तीन प्रतिशत पानी पीने योग्य है जिसमें से 2.4 प्रतिशत ग्लेशियरों और उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में जमा हुआ है और केवल 0.6 प्रतिशत पानी नदियों, झीलों और तालाबों में है जिसे इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका सीधा मतलब यह कि पीने योग्य पानी बहुत ही कम है। दैनिक आवश्यकताओं की अगर बात की जाए तो एक व्यक्ति औसतन 30-40 लीटर पानी रोजाना इस्तेमाल करता है। 
 
जल बंटवारे को लेकर राज्यों के बीच लड़ाई
नदियों के जल बंटवारे को लेकर राज्यों के बीच लड़ाई का इतिहास काफी पुराना रहा है। 
* 1969 में गोदावरी नदी के जल बंटवारे को लेकर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश कर्नाटक मध्य प्रदेश और ओडिशा आमने-सामने आ गए थे। 
* 1969 में ही महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बीच कृष्णा नदी को लेकर लड़ाई चली।
* 1969 से लेकर 1979 तक नर्मदा नदी को लेकर गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान एक दूसरे से टकराते रहे।
* 1986 में हरियाणा और पंजाब, रावी और ब्यास नदी के जल बंटवारे के विवाद को लेकर पहली बार ट्रिब्यूनल पहुंचे, लेकिन ये विवाद आज तक नहीं सुलझा है।
* कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पुड्डचेरी के बीच अब भी कानूनी लड़ाई चल रही है। 
* वंसधारा नदी के जल बंटवारे को लेकर आंध्र प्रदेश और ओडिशा को ट्रिब्यूनल के फैसले का इंतजार है।
* इसी तरह गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच महादेवी नदी को लेकर विवाद चल रहा है।
 
लोग जमकर कर रहे पानी की बर्बादी 
पानी की एक बूंद भी हमारे लिए बेहद कीमती है लेकिन कई जगहों पर आज लोग पानी की कीमत को नहीं समझतें, पानी को काफी मात्रा में बर्बाद करते हैं। ऐसे कई स्थान हैं जहां नल न होने के कारण पानी लगातार गिरता रहता है कोई उस पर ध्यान नहीं देता। अगर पानी को बचाना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा, क्योंकि पानी ही हमारा जीवन है और इसके बिना हम जिंदा नहीं रह सकते। इसलिए हमें पानी की कीमत समझनी होगी, और पानी को बचाना होगा।
 
 
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