दृष्टिबाधित फूलो ने गाड़े सफलता के झंडे अब मिली भाभा अनुसंधान केंद्र में Job
punjabkesari.in Tuesday, Jan 14, 2025 - 02:29 PM (IST)
नेशनल डेस्क। गरीब मजदूर परिवार की बेटी फूलो यादव ने अपनी मेहनत और लगन से बड़ा मुकाम हासिल किया है। जन्म से दृष्टिबाधित फूलो अब देश की बड़ी संस्था परमाणु ऊर्जा विभाग के भाभा अनुसंधान केंद्र मुंबई में वर्क असिस्टेंट (कार्य सहायक) के पद पर काम कर रही हैं। उन्होंने 15 दिन पहले ही वहां अपनी ज्वाइनिंग दी है।
गरीबी और मुश्किल हालात में शुरू हुआ सफर
फूलो यादव छत्तीसगढ़ के बागबाहरा के वार्ड-तीन की रहने वाली हैं। उनके पिता पितांबर यादव का 12 साल पहले निधन हो गया था। उनकी मां देवती दूसरों के घरों में काम कर अपने तीन बेटियों और एक बेटे की परवरिश करती हैं। फूलो भाई-बहनों में दूसरे नंबर की हैं।
फूलो को पढ़ाई का सपना तब आया जब उन्होंने मोहल्ले के बच्चों से स्कूल की बातें सुनीं। उन्होंने अपने माता-पिता से स्कूल जाने की जिद की। पिता ने उनकी इस जिद को पूरा करते हुए बागबाहरा के प्राथमिक स्कूल में उनका दाखिला कराया। दृष्टिबाधित होने के कारण उन्हें असुविधा हुई इसलिए उन्हें रायपुर के मठपुरेना स्थित दृष्टिबाधित स्कूल में भेजा गया। वहां ब्रेललिपि ने उनकी पढ़ाई को आसान बना दिया।
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खेलों में भी लहराया परचम
फूलो पढ़ाई के साथ खेलों में भी आगे रहीं। 2011 में मुंबई में हुए नेशनल गेम्स में उन्होंने हाई जंप में दूसरा स्थान हासिल किया था। यह उनकी खेल प्रतिभा और मेहनत का परिणाम था।
पिता का सपना, मां ने किया पूरा
फूलो के पिता ने उनसे वादा किया था कि अगर वह 10वीं पास करेंगी तो उन्हें लैपटॉप देंगे लेकिन 2012 में उनके पिता का निधन हो गया। मरने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी से वादा लिया कि वह इस सपने को पूरा करेंगी। देवती ने पति से किए वादे को निभाते हुए फूलो को पढ़ाया और 10वीं पास होने के बाद उन्हें लैपटॉप दिलवाया।
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परिवार का त्याग और गुरुजनों का सहयोग
फूलो ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां, भाई-बहनों और गुरुजनों को दिया। परिवार ने अपने खर्चों में कटौती कर उनकी पढ़ाई में कभी कोई कमी नहीं आने दी।
उन्होंने समाजसेवी और भाजपा नेता हेमंत तिवारी का भी जिक्र किया। उनके माध्यम से फूलो ने चित्रकूट के जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय से बीएड की पढ़ाई पूरी की।
मेहनत से मिली सफलता
बता दें कि फूलो ने जीवन की तमाम मुश्किलों और चुनौतियों को पार करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल किया। उनकी कहानी इस बात का उदाहरण है कि यदि हौसले बुलंद हों और मेहनत की जाए तो कोई भी बाधा इंसान को रोक नहीं सकती।