नजरियाः कश्मीर पर मोदी की ट्रंप को खरी-खरी

Monday, Aug 26, 2019 - 06:54 PM (IST)

नेशनल डेस्क (रवि प्रताप सिंह):  फ्रांस के बिआरिट्ज में जी-7 की बैठक से इतर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बीच सोमवार को मुलाकात हुई। इस बैठक में मोदी ने ट्रंप समेत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान को स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर भारत और पाक के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है। इसमें किसी तीसरे पक्ष के दखल की कोई गुंजाइश नहीं है।  

एक सवाल के जवाब में मोदी ने ट्रंप के सामने ही बड़ी विनम्रता से कहा कि भारत-पाक को गरीबी और भुखमरी समेत अन्य समस्याओं से लड़ना है और रही बात कश्मीर की तो वह द्विपक्षीय मुद्दा है। दोनों देश खुद ही इसे सुलझाने में समर्थ हैं। भारत इसमें किसी भी तीसरे पक्ष को कष्ट देना नहीं चाहता। हालांकि मोदी से पहले इस मुद्दे पर ट्रंप से सवाल पूछा गया था। ट्रंप ने भी अपनी पुरानी बात से पलटते हुए इसे द्विपक्षीय मसला बताया। ट्रंप का यह कथन एक तरह से पाकिस्तान और इमरान खान के लिए बड़ा झटका है। क्योंकि इमरान खान और उनकी पूरी कूटनीतिक टीम कश्मीर में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता कराने की कवायद में लगी हुई थी। दुनिया के हर बड़े मंच पर पाकिस्तान काफी सक्रिय हो गया था। पाकिस्तान की इस बौखलाहट की बड़ी वजह हाल ही में भारत द्वारा कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने को लेकर थी। धारा-370 खत्म करने के लिए मोदी सरकार संसद में प्रस्ताव लेकर आई थी जिसे संसद के दोनों सदनों ने मंजूरी दे दी थी। हालांकि कांग्रेस समेत विपक्ष का एक धड़ा धारा 370 हटाए जाने के विरोध में था।

इसी के चलते जब इमरान खान धारा-370 खत्म किए जाने के बाद अमेरिका गए तो वहां भी पाकिस्तान ने ट्रंप के सामने कश्मीर का राग अलापा। वहीं ट्रंप ने इस मसले पर विवादित बयान देते हुए कहा कि मोदी ने खुद उन्हें कश्मीर पर मध्यस्थता करने की बात कही थी। ट्रंप के इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव आ गया था। भारत ने तुरंत ट्रंप के बयान का खंडन कर दिया था। बाद में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बताया था। लेकिन भारत में कांग्रेस समेय अन्य विपक्षी दल भाजपा और मोदी को इस मुद्दे पर घेरने में जुट गए। पाकिस्तान भी भारतीय नेताओं के बयानों की वीडियो दिखाकर-दिखाकर कश्मीरियों और दुनिया को बरगलाने की कोशिश कर रहा था।

भारत-पाक के बीच 1971 में युद्ध हुआ था। इसमें भारत ने पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों को कैद कर लिया था। तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टों और भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच शिमला समझौता हुआ था। इसमें यह तय हुआ था कि आपसी विवाद को द्विपक्षीय तरीके से हल करेंगे। बता दें कि यह वही जुल्फिकार अली भुट्टों थे जिन्होंने घास की रोटी खाकर भी भारत से हजार साल तक जंग करने की कसमें खायी थीं। 

जी-7 समिट में हुई भारत-अमेरिका की बैठक में मोदी ने न केवल ट्रंप को बल्कि पूरी दुनिया को स्पष्ट तरीके से बता दिया कि कश्मीर पर किसी भी तीसरे मुल्क की मध्यस्थता भारत को कबूल नहीं है चाहे वह दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका ही क्यों न हो।

Ravi Pratap Singh

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