पूर्व राष्ट्रपति ने सावरकर की विचारधारा का जिक्र नहीं किया: तोगडिय़ा

Friday, Jun 08, 2018 - 03:28 PM (IST)

इंदौर: विश्व हिंदू परिषद के पूर्व नेता प्रवीण तोग​डिय़ा ने आज जोर देकर कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में राष्ट्रवाद पर केशव बलिराम हेडगेवार और विनायक दामोदर सावरकर के विचारों का उल्लेख नहीं किया। तोगडिय़ा ने इंदौर प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कहा, मुखर्जी ने कल अपने भाषण में राष्ट्रवाद पर महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा का तो बराबर जिक्र किया। लेकिन उन्होंने अपने पूरे भाषण में राष्ट्रवाद के विषय में हेडगेवार और सावरकर के विचारों का कोई उल्लेख नहीं किया। 

देश में हैं राष्ट्रवाद पर दो विचारधाराएं 
उन्होंने कहा देश में राष्ट्रवाद पर दो विचारधाराएं हैं। इनमें पहली विचारधारा गांधी और नेहरू की है, जबकि दूसरी विचारधारा हेडगेवार और सावरकर की है। पूर्व विहिप नेता ने मांग की कि केंद्र सरकार को संसद में कानून पारित कर अयोध्या में राम जन्मभूमि पर ​मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करना चाहिये। राम मंदिर मामला फिलहाल शीर्ष अदालत में विचाराधीन है। इसका जिक्र किए जाने पर तोगडिय़ा ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पर कटाक्ष किया, जब आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली थी, तब क्या यह मामला अदालत में विचाराधीन नहीं था ? फिर उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा क्यों निकाली थी? उन्हें सुप्रीम कोर्ट भवन से अयोध्या तक रथयात्रा निकालनी चाहिये थी।

तोगडिय़ा ने नहीं खोले प्रस्तावित संगठन के बारे में पत्ते 
उन्होंने एक सवाल पर कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए 90 के दशक में जनता से करीब 8.5 करोड़ रुपए का चंदा जुटाया गया था और इसके हिसाब के बारे में किसी को संदेह करने की कोई जरूरत नहीं है। पूर्व विहिप नेता ने कहा, हमारे पास इस चंदे के एक-एक पैसे का हिसाब है। तोगडिय़ा ने मीडिया के अलग-अलग सवालों के बावजूद अपने प्रस्तावित संगठन के बारे में पत्ते नहीं खोले। उन्होंने कहा कि वह 24 जून को नई दिल्ली में इस नये संगठन और इसकी भावी कार्ययोजना के बारे में घोषणा करेंगे। किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए मंदसौर रवाना होने से पहले उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों के कारण अन्नदाता कर्ज की मार झेल रहे हैं और अपनी समस्याओं का समाधान नहीं मिलने के कारण उन्हें आत्महत्या तक करनी पड़ रही है। उन्होंने मांग की कि खेती के तमाम खर्चों का सही फॉर्मूले से आकलन कर किसानों को सभी फसलों की उत्पादन लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलवाया जाए।  

Anil dev

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