70 हज़ार सैलरी लेने वाले अंग्रेजी टीचर को ''Eleven'' की स्पेलिंग नहीं आती! लोग बोले- ‘सर जी हद…’ Video Viral
punjabkesari.in Wednesday, Jul 30, 2025 - 03:43 PM (IST)

नेशनल डेस्क: शिक्षक जिन्हें हम ज्ञान का सागर मानते हैं, वही जब सवालों के घेरे में आ जाएं तो शिक्षा व्यवस्था पर से भरोसा उठना लाज़मी है। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के एक सरकारी स्कूल का ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि इस स्कूल में पिछले 5 सालों से अंग्रेजी पढ़ाने वाले एक शिक्षक खुद अंग्रेजी के बेहद सरल शब्दों की स्पेलिंग भी नहीं लिख पाए।
If you want to ruin a country, destroy its education system!
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) July 27, 2025
This teacher who must be earning ₹70–80K/month, doesn’t even know how to spell 'Eleven'.
This is the price we’re paying for killing merit in the name of Reservation & social justice.
The downfall is already here! pic.twitter.com/whhM1F4ZK6
इंस्पेक्शन में खुली पोल
स्कूल में औचक निरीक्षण के लिए एक टीम पहुंची थी। टीम ने जब इस अंग्रेजी के 'मास्टरजी' से ब्लैकबोर्ड पर 'Eleven' (11) और 'Nineteen' (19) जैसे आम अंग्रेजी शब्दों की स्पेलिंग लिखने को कहा, तो उनके होश उड़ गए। शिक्षक ने ब्लैकबोर्ड पर 'Eleven' की जगह 'aivene' और 'Nineteen' की जगह 'ninithin' लिख दिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या ये स्पेलिंग सही हैं, तो उन्होंने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ 'हां' कहा! वहां मौजूद लोग यह देखकर सन्न रह गए। वीडियो में दिख रहा है कि इंस्पेक्शन के लिए आए अफसरों ने उन्हें सामने बैठे स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए भी कहा, लेकिन शिक्षक को अपनी गलती का अहसास तब भी नहीं हो पाया।
सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा
यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यूजर ने शेयर किया है। उन्होंने इस वीडियो के साथ लिखा है, "अगर देश को बर्बाद करना है तो शिक्षा का सिस्टम तबाह कर दो। 70-80 हजार सैलरी उठाने वाले टीचर से इलेवन तक नहीं लिखा जा रहा है। यह शर्म की बात है।" अब तक इसे 5 लाख से ज़्यादा लोग देख चुके हैं। वीडियो देखने के बाद यूज़र्स बच्चों के भविष्य और देश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर चिंता जता रहे हैं। लोगों का कहना है कि ऐसे शिक्षकों के भरोसे बच्चों का भविष्य कैसे उज्ज्वल हो सकता है। यह घटना कहीं न कहीं शिक्षा के गिरते स्तर और शिक्षकों की गुणवत्ता पर बड़े सवाल खड़े करती है।