'शव छीनने' की अफवाहों के बीच गिलानी के जनाजे का वीडियो जारी, JK पुलिस ने बताई उस दिन की पूरी कहानी
Tuesday, Sep 07, 2021 - 01:36 PM (IST)
नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों का खंडन करते हुए कुछ वीडियो जारी की है। पुलिस ने ट्विटर हैंडल के माध्यम से चार वीडियो को जारी करते हुए कहा कि गिलानी के बेटों ने कब्रिस्तान में ना आकर पाकिस्तान के एजेंडे के प्रति अपनी 'वफादारी' दिखाई ह।
Visuals from the graveyard during burial of SAS Geelani. pic.twitter.com/ndvcHx5xtG
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) September 6, 2021
दरअसल गिलानी के बेटों द्वारा आरोप लगाया गया था कि उनके पिता का पुलिस ने जबरन अंतिम संस्कार किया। इस पर पुलिस ने अंतिम यात्रा और दफनाने की तस्वीरें जारी करते हुए कहा कि अधिकारियों को तब अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के घर पर तीन घंटे इंतजार करना पड़ा था जब वे उनकी मृत्यु के बाद उन्हें दफनाने के लिए गए थे। पुलिस ने कहा कि शायद पाकिस्तान और असमाजिक तत्वों के दबाव में गिलानी का परिवार देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हुआ।
पुलिस प्रवक्ता ने कहा, 'गिलानी की मौत के बाद कश्मीर आईजीपी विजय कुमार एसपी और एएसपी के साथ उनके घर गए और रात 11 बजे उनके बेटों से मुलाकात की। आईजी ने गिलानी के बेटों से शव को रात में ही दफनाने को कहा ताकि कानून व्यवस्था बनी रह सके। दोनों बेटे इसको लेकर मान भी गए और पुलिस से दो घंटा रुकने को कहा ताकि कुछ रिश्तेदार पहुंच सकें। इस दौरान वहां पाकिस्तान के पक्ष में नारे तक लगने लगे और गिलानी के शव को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा गया। इसके बाद शव को पास के कब्रिस्तान में स्थानीय इमाम की मौजूदगी में दफनाया गया।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिलानी के शव को पाकिस्तानी झंडे में लपेटने और उनके घर पर कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाने को लेकर कड़े गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम (यूएपीए) कानून के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने उस वीडियो का संज्ञान लिया था जिसमें गिलानी का शव पाकिस्तानी झंडे में लिपटा दिखा था। हालांकि, जैसे ही पुलिस शव को अपने कब्जे में लेने के लिए आगे बढ़ी, दिवंगत अलगाववादी नेता के सहयोगियों ने झंडा हटा दिया।याद हो कि गिलानी का लंबी बीमारी के बाद गत बुधवार रात उनके आवास पर निधन हो गया था। नजदीक ही एक मस्जिद के कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया था।