जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 'मौत से ठन गई' थी

Thursday, Aug 16, 2018 - 10:00 AM (IST)

नेशनल डेस्कः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत गंभीर बनी हुई है और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। जहां देशभर में लोग उनकी सलामती की दुआएं मांग रहे हैं वहीं उनको देखने के लिए भाजपा के कई वरिष्ठ नेता एम्स पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार शाम करीब सवा सात बजे वाजपेयी का हालचाल जानने के लिए एम्स गए थे। मोदी के अलावा भाजपा के कई वरिष्ठ नेता एम्स पहुंचे।

वाजपेयी जब तक सत्ता में रहे वे सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष के भी लोकप्रिय नेता रहे। वाजपेयी ने आजीवन शादी नहीं की और देश सेवा के लिए खुद को समर्पित कर दिया। वाजपेयी एक राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ बहुत अचेछ कवि भी थे। वे अक्सर अपने भाषणों के दौरान अपनी कविताएं सुनाया करते थे। उनका साहित्य से काफी लगाव रहा है। उन्होंने कई कविताएं लिखीं। उनका कविता संग्रह 'मेरी इक्वावन कविताएं' उनके समर्थकों में खासा लोकप्रिय है। आज उनकी ठन गई, मौत से ठन गई कविता याद आ रही है। जब वे साल 1988 में किडनी का इलाज कराने अमेरिका गए थे तब धर्मवीर भारती को लिखे एक खत में उन्होंने यह कविता लिखी थी। 

ठन गई
मौत से ठन गई

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?

तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा

मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बाँहों में मेहमान है

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई

मौत से ठन गई 

Seema Sharma

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