राष्‍ट्रपति राजा नहीं, उनसे भी गलती हो सकती है: हाईकोर्ट

Wednesday, Apr 20, 2016 - 05:21 PM (IST)

नैनीताल: उत्‍तराखंड में राष्‍ट्रपति शासन के खिलाफ नैनीताल कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्‍पणी करते हुए कहा कि राष्‍ट्रपति राजा नहीं हैं और उनसे भी गलती हो सकती है।  उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल नहीं उठाए जा रहे लेकिन सब कुछ न्यायिक समीक्षा के तहत आता है। राजग सरकार के इस तर्क पर कि राष्ट्रपति ने अपने ‘‘राजनैतिक विवेक ’’ के तहत संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत यह निर्णय किया, मुख्य न्यायाधीश के एम जोसफ और न्यायमूर्ति वी के बिष्ट की पीठ ने कहा, ‘‘लोगों से गलती हो सकती हैै, चाहे वह राष्ट्रपति हों या न्यायाधीश।’’  हाईकोर्ट ने कहा कि ‘‘राष्ट्रपति के समक्ष रखे गए तथ्यों के आधार पर किए गए उनके निर्णय की न्यायिक समीक्षा हो सकती है।’’ 
 
केंद्र के यह कहने पर कि राष्ट्रपति के समक्ष रखे गए तथ्यों पर बनी उनकी समझ अदालत से जुदा हो सकती है, हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की। पीठ के यह कहने पर कि उत्तराखंड के हालत के बारे में राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को भेजी गई रिपोर्ट से ‘‘हमने यह समझा कि हर चीज 28 मार्च को विधानसभा में शक्ति परीक्षण की तरफ जा रही थी’’, केन्द्र ने उक्त बात कही थी।  सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं किया कि 35 विधायकों ने मत विभाजन की मांग की है। 
 
हाईकोर्ट ने कहा, ‘‘राज्यपाल को व्यक्तिगत तौर पर संतुष्ट होना चाहिए। उन्होंने 35 विधायकों द्वारा विधानसभा में मत विभाजन की मांग किए जाने के बारे में अपनी व्यक्तिगत राय का उल्लेख नहीं किया।’’ हाईकोर्ट ने कहा कि उनकी रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि कांग्रेस के नौ बागी विधायकों ने भी मत विभाजन की मांग की थी।  इसने यह भी कहा कि ‘‘एेसी सामग्री की निहायत कमी थी जिससे राज्यपाल को शंका हो’’ कि राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत है।  हाईकोर्ट ने पूछा, ‘‘तो भारत सरकार को कैसे तसल्ली हुई कि 35 खिलाफ में हैं? राज्यपाल की रिपोर्ट से?’’ 
 
पीठ ने कहा, ‘‘19 मार्च को राष्ट्रपति को भेजे गए राज्यपाल के पत्र में इस बात का जिक्र नहीं है कि 35 विधायकों ने मत विभाजन की मांग की। इस बात का जिक्र नहीं होना शंका पैदा करता है। यह निहायत महत्वपूर्ण है।’’  इस पर केंद्र ने कहा कि 19 मार्च को राज्यपाल के पास पूरा ब्यौरा नहीं था। 
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