यूपी के राजनीतिक मंच से क्यों गायब हो गए ''पीके''!

punjabkesari.in Saturday, Jan 07, 2017 - 01:01 PM (IST)

नई दिल्ली: एक समय में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का खेवनहार बन कर आए पीके यानी प्रशांत किशोर अचानक ही यूपी के राजनीतिक मंच से गायब हो गए हैं। अमेरिकी टेक्नोक्रेट पीके बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतिश कुमार के सलाहकार बन कर चर्चा में आए थे। माना जाता है कि बिहार में राजद-कांग्रेस और जदयू का महागठबंधन पीके के दिमाग की उपज थी। बिहार की सफलता के बाद ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उनसे मुलाकात कर यूपी में कांग्रेस का कायाकल्प करने का अनुरोध किया था। आते ही पीके ने यूपी में अपना रंग दिखाना भी शुरू कर दिया था।

उनकी सक्रियता यूपी कांग्रेस के दिग्गजों को पसंद नहीं आई। कार्यभार संभालते ही पीके ने सभी नेताओं को एक निश्चित संख्या में कार्यकर्ता बनाने का होम वर्क दिया था। महज यह पार्टी और उसके नेताओं की सक्रिय करने की कवायद थी लेकिन सुस्त और निष्क्रिय पड़े नेताओं को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई। राहुल गांधी द्वारा पूरे उत्तर प्रदेश में की गई खाट सभा पीके की ही योजना मानी जा रही थी। खाट सभा ने यूपी की जनता को कांग्रेस से जोड़ा कि नहीं यह तो  चुनाव के बाद पता चलेगा मगर राहुल बाबा की भद जरूर पिटवा दी।  माना जा रहा है कि इसी के बाद कांग्रेस के केद्रीय नेतृत्व का पीके से भरोसा उठ गया। रही सही कसर पूरी करने के लिए यूपी कांग्रेस के पुराने मठाधीश काफी थे जिन्हें पहले सही पीके फूटी आंखों भी पसंद नहीं थे।

काफी दिनों से हाशिए पर पड़े पीके ने विधान सभा चुनाव में कांग्रेस-बसपा के बीच गठबंधन होने की संभावना जता कर अंतिम गलती कर दी। जबकि यूपी कांग्रेस के अधिकांश विधायक सपा से गठबंधन के मूड में थे। इसके बाद से पीके यूपी के चुनावी मंच से गायब है जबकि चुनाव की तारिख की घोषणा तक हो चुकी है और राजनीतिक गतिविधियां अपने चरम पर हैं।


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