ये हैं पहली CRPF महिला अधिकारी, नक्सली इलाके में घूमती है AK-47 लेकर

Wednesday, Jan 18, 2017 - 11:33 PM (IST)

रायपुर: नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान दुष्कर्म के आरोपों का सामना कर रहे अर्द्धसैनिक बल जहां अपनी छवि को सुधारने के लिए संघर्ष कर रहे हैं वहीं छत्तीसगढ़ में माओवादियों के गढ़ में तैनात की गई सी.आर.पी.एफ. की पहली महिला अधिकारी आदिवासी लड़कियों को शिक्षित बनने और वर्दी की सेवा में शामिल होने हेतु प्रेरित कर रही है। वह उनके लिए ‘रोल मॉडल’ बन गई हैं। 27 वर्षीय ऊषा किरण महसूस करती हैं कि बटालियन की सेवा करने के अलावा उनकी यह भी ड्यूटी है कि वह स्थानीय आदिवासी लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें। ऊषा ने कहा कि शिक्षित होने और मजबूत इरादे के साथ आदिवासी लड़कियां ए.के.-47 राइफल पास रखने की बजाय अधिक सशक्त होंगी।

उन्होंने कहा कि यहां लड़कियां व महिलाएं अपने पुरुष पारिवारिक सदस्यों और बुजुर्गों के बिना सुरक्षा बलों से बात करने में संकोच करती हैं। यहां तक कि बच्चे चॉकलेट लेने से मना कर देते हैं। वे बाहरी लोगों व वर्दीधारी जवानों से मिलना नहीं चाहतीं। ऊषा ने बस्तर के कठिन पहाड़ी क्षेत्रों में काम किया। उन्होंने स्कूल जाने वाली लड़कियों को अपने कैम्प में पढ़ाने के लिए कुछ समय निकाल रखा है। वह सी.आर.पी.एफ. की 80 बटालियन में असिस्टैंट कमांडर हैं। उनको माओवादी प्रभावित दरभा घाटी में तैनात किया गया है। वह एक वर्ष तक 232 महिला बटालियन में शामिल रहीं और यहां उन्हें प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से अनुरोध किया था कि उन्हें पुरुष बटालियन में काम करने की अनुमति दी जाए।

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