नए दौर में पहुंच रही भारत-अमरीका की दोस्ती, अफगानिस्तान पर न आतंकवाद पर हां

Wednesday, Sep 27, 2017 - 12:03 AM (IST)

नई दिल्लीः अमरीका भारत के साथ मजबूत सामरिक संबंधों के बूते एशिया खासकर दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने की कोशिश कर रहा है। इसी कड़ी में अमरीका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने मंगलवार को पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारण समेत तमाम भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की। मैटिस ने भारतीय पक्ष से दोनों देशों के सामरिक संबंधों को और भी मजबूत करने के संबंध में बातचीत की। इसमें अमरीका की तरफ से भारत को फाइटर्स जेट और सर्विलांस ड्रोन बेचने का मुद्दा भी शामिल रहा। 

मैटिस कैबिनेट रैंक के ऐसे पहले अधिकारी हैं जो ट्रंप के शासन के आने के बाद भारत की यात्रा पर आए हैं। पिछले एक दशकों में भारत और अमरीका के संबंधों में तेज प्रगति देखी गई है। इस दौरान भारत ने अमरीका से 15 अरब डॉलर से अधिक के हथियार खरीदे हैं। भारत एक तरह से हथियारों के अपने पारंपरिक सप्लायर रूस को छोड़ अमरीका की तरफ झुकता नजर आ रहा है। 

मैटिस की भारतीय अधिकारियों के साथ हुई वार्ता के टॉप अजेंडे में 22 सी गार्जियन ड्रोन एयरक्राफ्ट की सप्लाई भई शामिल है। अमरीकी सरकार ने जून में ही भारतीय नौसेना के लिए इस सर्विलांस ड्रोन की डील को अपनी अनुमति दे दी है। ऐसा पहली बार हुआ है जब गैर नाटो सदस्य मुल्क के लिए अमेरिकी सरकार ने इसकी सप्लाई की अनुमति दी है। 

भारतीय नौसेना ने विस्तृत हिंद महासागर के सर्विलांस के मानवरहित ड्रोन की मांग कर रखी है। चीन की पनडुब्बियां और समुद्री जहाज नियमित तौर पर हिंद महासागर का चक्कर लगाते रहते हैं। अमरीका साउथ चाइना सी में चीन की बढ़ती सामरिक ताकत को लेकर चिन्तित है। अमरीका ने भारतीय नौसेना के साथ इस इलाके में जॉइंट पट्रोलिंग का प्रस्ताव दिया था। भारत ने चीन की संभावित प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। 

ब्रूकिंग्स इंडिया में भारत-अमेरिका संबंधों के जानकार ध्रुव जयशंकर का कहना है कि दोनों ही देशों के लिए चीन का खतरा बड़ा है। भारतीय वायुसेना ने भी 90 आर्म्ड एवेंजर प्रिडेटर ड्रोन्स की मांग की है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनका इस्तेमाल सीमा-पार की जाने वाली स्ट्राइक्स में किया जा सकता है।


 

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