मोदी के 'मेक इन इंडिया' पर फंसा US का पेंच, चाहती हैं तकनीक पर कंट्रोल

Tuesday, Sep 19, 2017 - 08:22 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत के मेक इन इंडिया का लक्ष्य को पूरा करने में अमरीकी कंपनियों की शर्ते आड़े आ रही है। डिफेंस सेक्टर में प्रॉडक्शन यूनिट्स बिठाने की तैयारी में लगी अमरीकी कंपनियां भारतीय कंपनियों की साझेदारी में तैयार हुए रक्षा सामानों में गड़बड़ी की जिम्मेदारी लेना नहीं चाहती है। न ही अपनी तकनीक ट्रांसफर करना चाहती। एेसे में उठता है कि इन परिस्थतियों में रक्षा उत्पादों को लेकर भारत की आयात निर्भरता कैसे खत्म होगी। 

यूएस-इंडिया बिजनस काउंसिल (USIBC) ने पिछले महीने भारतीय रक्षा मंत्री को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें भारत की तरफ से इसका आश्वासन मांगा गया है कि जॉइंट वेंचर में जूनियर पार्टनर होने के बावजूद अमेरिकी कंपनियों को संवेदनशील प्रौद्योगिकी पर अपना नियंत्रण रखने दिया जाएगा। 400 कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली बिजनस लॉबी ने अपने खत में लिखा है कि सार्वजनिक और निजी रक्षा साझेदारियों की तलाश में जुटी सभी कंपनियों के लिए स्वामित्व प्रौद्योगिकियों पर नियंत्रण एक महत्वपूर्ण मसला है।
यूएस कंपनी गड़बड़ी पर नहीं लेंगी संयुक्त जिम्मेदारी
USIBC ने उस नियम का भी विरोध किया है जिसके तहत मिलिटरी को उपलब्ध कराई गई चीजों की क्वॉलिटी के लिए उन्हें भी संयुक्त रूप से जिम्मेदार बनाया गया है। USIBC ने खत में कहा है कि रक्षा मंत्रालय इस बात की पुष्टि करे कि विदेशी कंपनियां अपने नियंत्रण के बाहर के दोषों के लिए उत्तरदायी नहीं होंगी।
भारतीय रक्षा कारखाने असेंबलिंग यूनिट्स की तरह   
पीएम मोदी के मेक इन इंडिया प्रयासों का मूल लक्ष्य देश में ही इंडस्ट्रियल बेस बनाकर आयात पर से निर्भरता को खत्म करना है। हाल के वर्षों में भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बनकर उभरा है। पिछले रक्षा सौदों में पूरी तरह से तकनीक का ट्रांसफर नहीं होने की वजह से भारतीय रक्षा कारखाने असेंबलिंग यूनिट्स की तरह काम करते रहे हैं। टैंकों और एयरक्राफ्ट का प्रॉडक्शन भी विदेशी निर्माताओं के लाइसेंस के तहत ही किया जाता रहा है।
तकनीक का ट्रांसफर नहीं तो मेक इन इंडिया अधूरा
पीएम मोदी के सलाहकारों ने इसमें बदलाव की सलाह देते हुए तकनीक के ट्रांसफर की बात कही थी ताकि भारत रक्षा जरूरतों के मुताबिक खुद निर्माण में सक्षम हो सके। ऐसे में अगर तकनीक का ट्रांसफर नहीं हुआ तो मेक इन इंडिया का लक्ष्य कैसे पूरा होगा, यह बड़ा सवाल है। USIBC के डिफेंस और एयरोस्पेस के डायरेक्टर बेंजामिन श्वॉर्ट्ज ने कहा कि भारत की नई नीति अमेरिकी और भारतीय कंपनियों के बीच साझेदारी स्थापित करने के लिए एक रोडमैप की पेशकश करती है। साथ ही साथ उनका कहना है कि यह कंपनियों के लिए कुछ सवाल भी खड़ा करती है। 
तकनीक पर स्वामित्व के लिए आश्वासन को लिखा पत्र
उन्होंने कहा कि फिलहाल वे उन कंपनियों के नाम बताने की स्थिति में नहीं हैं जिन्होंने भारतीय नीति पर चिंता जताई है। हालांकि उनका कहना है कि कंपनियां कई मामलों में स्पष्टता चाहती हैं जिसमें तकनीक का स्वामित्व भी शामिल है। इस दिशा कदम बढ़ाते हुए तकनीक पर स्वामित्व के आश्वासन के लिए एक बिजनस लॉबी ग्रुप ने भारत के रक्षा मंत्री को पत्र भी लिखा है। तकनीक पर स्वामित्व के अलावा ये कंपनियां यहां के स्थानीय पार्टनर्स के साथ मिलकर तैयार किए गए प्रॉडक्ट्स में किसी गड़बड़ी की जिम्मेदारी लेने को भी तैयार नहीं हैं। 


 

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