उरी हमला: ये हैं वो जवान जो हिंद पर हो गए कुर्बान
Tuesday, Sep 20, 2016 - 09:56 AM (IST)
नई दिल्ली: उड़ी हमले में शहीद हुए जवान देश के अलग-अलग हिस्सों से आकर सीमा की रक्षा में लगे थे। उनमें भाषा पर विवाद नहीं था। वह जातिवाद के शिकार भी नहीं थे। उन्हें सिर्फ तिरंगा प्यारा था और वह देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए। देश के हर नागरिक को उन वीर सपूतों पर नाज है। हमले में अबतक 20 जवान शहीद हुए हैं। 18 जवानों में से 2 डोगरा रैजीमैंट और 16 बिहार रैजीमैंट से हैं। डोगरा रैजीमैंट वाले जवान जम्मू-कश्मीर के रहने वाले थे जबकि बिहार रैजीमैंट के शहीद जवानों में 4 यू.पी., 4 बिहार, 3 महाराष्ट्र, 2 झारखंड, 2 पश्चिम बंगाल और 1 राजस्थान के हैं।
सूबेदार करनैल सिंह बिश्नाह (जम्मू)
पूरे गांव में नहीं बनी रोटी
जम्मू के बिश्नाह के रहने वाले करनैल सिंह ढाई सालों से उड़ी में तैनात थे। करनैल सिंह की इस शहादत से पूरा गांव सदमे में है। पूरे गांव में किसी ने रोटी नहीं बनाई। अगले महीने उनकी यूनिट पठानकोट आने वाली थी।
हवलदार रवि पाल सांबा (जम्मू)
दो बच्चें को छोड़ गए अनाथ
जम्मू के साम्बा सैक्टर के सर्वा गांव में 10 डोगरा यूनिट के हवलदार रवि पाल के घर लोगों का तांता लगा हुआ है रवि पाल 23 साल से सेना में हैं। उनके घर में उनके 4 भाई, मां, पत्नी और 2 बेटे हैं।
सिपाही जानराव उईके अमरावती (महाराष्ट्र)
खाई थी शहीद होने की कसम
अमरावती के रहने वाले शहीद जानराव उईके के घर भी यह खबर मातम का संदेश बन गई। उनके परिवार के कुछ सदस्यों को इस बारे में कुछ बताया ही नहीं गया। अपने पिता की तरह देश के लिए मरने की कसम उसने बचपन में ही खा ली थी।
नायक एस.के. विद्यार्थी गया (बिहार)
दुर्गा पूजा में आने का था वादा
गया में नायक एस.के. विद्यार्थी के परिवार के लिए भी यह खबर हादसे की तरह पहुंची। पहले तो किसी को भरोसा ही नहीं हुआ। विद्यार्थी के परिवार में उनकी मां के अलावा 4 बच्चे और पत्नी है। उन्होंने दुर्गा पूजा में आने का वादा किया था।
लांस नायक जी. शंकर सतारा (महाराष्ट्र)
टी.वी. से पहुंची शहादत की खबर
लांस नायक जी. शंकर के गांव में भी सैंकड़ों लोगों की भीड़ लगी है। ज्यादातर लोगों को टी.वी. के जरिए उनके शहीद होने की खबर लगी थी। सतारा गांव के रहने वाले शहीद जी. शंकर अपने पीछे पत्नी के अलावा 2 बच्चों को छोड़ गए हैं।
सिपाही हरिंद्र यादव गाजीपुर (यू.पी.)
पूरे गांव का था हीरो
इस बहादुर के शहीद की बहादुरी के किस्से सरहदों तक ही सीमित नहीं थे। वह गांव में भी हीरो था। पिछली होली को गांव के एक घर में आग लगी थी तो हरिंद्र ने उसमें घुस कर 8 साल के बच्चे को निकाला था।
सिपाही टी.एस. सोमनाथ नासिक (महाराष्ट्र)
शहादत से पूरा परिवार बेसुध
टी.एस. सोमनाथ के शहीद होने की सूचना जब वहां पहुंची तो सभी सन्न थे। उनकी शादी नहीं हुई थी। 2 बहनों और एक भाई समेत पूरा घर बेसुध पड़ा था। गांव का बच्चा-बच्चा तक सन्न था कि आखिर हुआ क्या।
हवलदार अशोक सिंह आरा (बिहार)
बेटा भी है सेना में
हवलदार अशोक सिंह के 2 बच्चे हैं। उनमें से एक बिहार रैजीमैंट में ही देश की सेवा में लगा है जबकि दूसरा अभी पढ़ाई कर रहा है। खबर सुनकर गांव के लोग सदमें में हैं। सभी का कहना था कि पाक को जवाब मिलना चाहिए।
सिपाही विश्वजीत गोराई 24 परगना (वैस्ट बंगाल)
नौकरी का जश्न अभी जारी था
20 साल के गोराई के पिता मजदूरी करते हैं। विश्वजीत की यह पहली पोसिं्टग थी। जिस समय यह खबर वहां पहुंची लोग स्तब्ध हो गए क्योंकि बेटे की नौकरी लगने की खुशी अभी चल ही रही थी।
नायक एस.के. विद्यार्थी गया (बिहार)
दुर्गा पूजा में आने का था वादा
गया में नायक एस.के. विद्यार्थी के परिवार के लिए भी यह खबर हादसे की तरह पहुंची। पहले तो किसी को भरोसा ही नहीं हुआ। विद्यार्थी के परिवार में उनकी मां के अलावा 4 बच्चे और पत्नी है। उन्होंने दुर्गा पूजा में आने का वादा किया था।
लांस नायक जी. शंकर सतारा (महाराष्ट्र)
टी.वी. से पहुंची शहादत की खबर
लांस नायक जी. शंकर के गांव में भी सैंकड़ों लोगों की भीड़ लगी है। ज्यादातर लोगों को टी.वी. के जरिए उनके शहीद होने की खबर लगी थी। सतारा गांव के रहने वाले शहीद जी. शंकर अपने पीछे पत्नी के अलावा 2 बच्चों को छोड़ गए हैं।
सिपाही हरिंद्र यादव गाजीपुर (यू.पी.)
पूरे गांव का था हीरो
इस बहादुर के शहीद की बहादुरी के किस्से सरहदों तक ही सीमित नहीं थे। वह गांव में भी हीरो था। पिछली होली को गांव के एक घर में आग लगी थी तो हरिंद्र ने उसमें घुस कर 8 साल के बच्चे को निकाला था।
सिपाही राजेश कुमार-जौनपुर (यू.पी.)
सिपाही राकेश सिंह -कैमूर (बिहार)
सिपाही जावरा मुंडा -खूंटी (झारखंड)
सिपाही नायमन कुजूर -गुमला (झारखंड)
सिपाही जी दलाई -हावड़ा (वैस्ट बंगाल)
लांस नायक आर.के. यादव -बलिया (यू.पी.)
हवलदार एन.एस. रावत-राजसमंद (राजस्थान)
सिपाही गणेश शंकर -संत कबीर नगर (यू.पी.)
सिपाही के. विकास जर्नादन -बिहार रैजीमैंट