ऑफ द रिकॉर्डः यू.पी.ए. के बनाए कानून ने ही मोदी को दिए कोरोना से लड़ने के पूर्ण अधिकार

Friday, Jul 10, 2020 - 03:49 AM (IST)

नई दिल्लीः राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इसलिए राजनीतिक हमले करते रहे हैं कि उन्होंने कोविड महामारी से निपटने के नाम पर राज्यों के अधिकार हड़प लिए हैं। उनका यह कहना है कि राज्यों में चाहे किसी भी राजनीतिक दल की सरकार हो, मोदी ने किसी के भी अधिकार अपने हाथों में लेने में कोई भेदभाव नहीं किया। 

विपक्षी दलों को शायद याद नहीं है कि मोदी जिन अधिनियमों के तहत ये अधिकार इस्तेमाल कर रहे हैं, वे खुद कांग्रेस पार्टी और यू.पी.ए. ने बनाए थे। जिस आपदा प्रबंधन अधिनियम (डी.एम.ए.) के तहत मोदी ने ये अधिकार ‘हथिया लिए’, वह 2005 में यू.पी.ए. सरकार के कार्यकाल में बनाया गया था। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने पूरी ताकत से इस अधिनियम का यह कहते हुए विरोध किया था कि इसके जरिए यू.पी.ए. राज्यों के अधिकार निगल जाना चाहती है। 

इस अधिनियम का विरोध करने वाले अपनी पार्टी में वह अकेले थे जबकि उनकी पार्टी भाजपा 2004 के संसदीय चुनाव में पराजय के बाद सुधबुध खो चुकी थी। जब 2020 में कोरोना महामारी फूट पड़ी तो मोदी ने कोरोना वायरस को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए व उससे लड़ने के लिए 2005 के उसी अधिनियम का इस्तेमाल करते हुए सारी शक्तियां राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) को दे दीं।

अब एन.डी.एम.ए. के अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री हैं। इसके साथ ही केंद्रीय गृह सचिव को एन.डी.एम.ए. के अंतर्गत राष्ट्रीय कार्यकारी कमेटी (एन.ई.सी.) का अध्यक्ष बनाया गया है जिसकी द्वि-भूमिका रहती है। वह जो भी आदेश मंत्रालयों और राज्यों को भेजते हैं, वह गृह सचिव की हैसियत से नहीं बल्कि सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर एन.ई.सी. के अध्यक्ष की हैसियत से भेजते हैं। आपदा प्रबंधन अधिनियम (डी.एम.ए.) 2005 के सैक्शन-6 व 10 में प्रधानमंत्री कार्यालय को विपुल शक्तियां दी गई हैं। विशेषज्ञों की नजर में ये अनुच्छेद 356 से भी सख्त हैं। इसमें राज्यों को महामारी में कोई अधिकार नहीं दिए गए हैं।

Pardeep

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