आंकड़ों की बाजीगरी से मोदी सरकार को घेरने की कोशिश

Tuesday, Aug 21, 2018 - 11:33 AM (IST)

नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): यूपीए काल की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की ग्रोथ रेट को नकारना मोदी सरकार के लिए मुश्किल हो सकता है। पिछले दिनों सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने देश की जीडीपी को लेकर नई सीरीज के आंकड़े को अपनी वेबसाइट पर डाला है। इन आंकड़ों के हिसाब से मोदी सरकार जीडीपी की ग्रोथ रेट के मामले में यूपीए सरकार से काफी पीछे नजर आती है। यहां तक कि यूपीए-2 के सबसे खराब सालों में भी जिसके लिए कांग्रेस की भारी आलोचना हुई थी। इन नये आंकड़ों के बाद कांग्रेस का खुशी से कुप्पा होना स्वाभाविक था क्योंकि बैठे-बैठे उसे मोदी सरकार पर हमला करने का अकाट्य हथियार मिल गया। 



यूपीए काल में वित्त मंत्री रहे पी चिदम्बरम ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कहने में कोई देरी नहीं की कि सच की जीत हुई है। जीडीपी की पिछली सीरीज की गणना ने साबित कर दिया है कि आर्थिक विकास का बेहतरीन समय 2004 से 2014 का था। सांख्यिकी मंत्रालय के जारी इन आंकड़ों के हवाले से चिदम्बरम ने कहा कि यूपीए-1 सरकार (2004 से 2009) के दौरान औसत ग्रोथ रेट 8.87 थी। साल 2006-07 में ग्रोथ रेट 10.08 तक गई। यूपीए-2 यानी 2009-14 के दरमियान औसत ग्रोथ रेट 7.39 फीसदी रही। यह औसत दर भी मोदी सरकार के चार साल (2014-18) की औसत ग्रोथ रेट 7.35 से ज्यादा है। मोदी सरकार ने 2015 में जीडीपी गणना का आधार वर्ष 2004-05 से बदलकर 2011-12 कर दिया था। लेकिन तब से ही दुनियाभर के आॢथक विशेषज्ञों और संस्थाओं का दबाव था कि आॢथक प्रदर्शन की तुलना करने के लिए कोई सरकारी आंकड़े नहीं हैं।


बढते दबाव के चलते सांख्यिकी मंत्रालय ने सांख्यिकी आयोग के तहत एक समिति का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट मंत्रालय की वेबसाइट पर डाली गई है। कांग्रेस के हमलावर होने के बाद सांख्यिकी मंत्रालय बचाव की मुद्रा में आ गया और कहा कि जीडीपी के यह आंकड़े पक्के नहीं हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने कहा है कि पिछली सीरीज को नई सीरीज में ढालने का काम चल रहा है और यह अंतिम आंकड़े नहीं हैं। ये अनुमान इसलिए है कि इनके आधार पर पिछली सीरीज को बदलने के लिए कोई कारगर तरीका तय किया जा सके। 



भाजपा प्रवक्ताओं का कहना है कि कांग्रेस अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए आंकड़ों का इस्तेमाल कर रही है जो आधिकारिक नहीं है, न ही सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार किया है। पर अर्थव्यवस्था के आंकड़ों को लेकर मोदी सरकार का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। श्रम मत्रालय के रोजगार ब्यूरो के आंकड़ों के बंद किये जाने के बाद मोदी सरकार ने कोई आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए हैं। नोटबंदी से कितना कालाधन बरामद हुआ, इसकी ठीक-ठाक जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक अभी तक नहीं दे पाया है।

Anil dev

Advertising