UN रिपोर्ट में खुलासा, गर्मी बढ़ने से भारत में बढ़ जाएगी बेरोजगारी

Tuesday, Jul 02, 2019 - 07:46 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वायुमंडल का तापमान बढ़ने से 2030 में भारत में 5.8 प्रतिशत काम के घंटों का नुकसान हो जाएगा। उत्पादकता की इस क्षति का कुल नुकासान 3.4 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियों के बरारबर होगा। इससे कृषि एवं निर्माण क्षेत्रों पर खास तौर पर फर्क पड़ेगा।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने ' गर्म धरती पर कार्य करना- गर्मी से उत्पन्न दबाव का श्रम उत्पादकता एवं साफ सुथरे कार्य पर प्रभाव ' (वर्किंग ऑन अ वॉर्मर प्लैनेट- द इम्पैक्ट ऑफ हीट स्ट्रेस ऑन लेबर प्रोडक्टिविटी एंड डिसेंट वर्क) शीर्षक अपनी रपट में कहा है कि 2030 तक दुनियाभर में दो कामकाजी घंटों के नुकसान होने का अनुमान है।

रपट में कहा गया है कि अत्यधिक गर्मी के कारण या तो काम करना मुमकिन नहीं होगा या तो कर्मचारियों के काम करने की रफ्तार धीमी हो जाएगी। रपट के मुताबिक 21वीं सदी के आखिर तक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है। इस रपट में कहा गया है भीषण गर्मी के कारण 2030 तक दुनियाभर में कुल कामकाजी घंटों में 2.2 प्रतिशत की कमी आ जाएगी। इससे आठ करोड़ पूर्णकालिक नौकरियों की उत्पादकता का ह्रास होगा।

इस रपट में कहा गया है कि उष्मागत तनाव के कारण 2030 तक वैश्विक स्तर पर कुल 2,400 अरब डॉलर का वित्तीय नुकसान होने का अनुमान है। रपट में आगाह किया गया है, ''अगर जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए अभी कदम नहीं उठाये गए तो यह वित्तीय बोझ बढ़ेगा क्योंकि सदी के आखिर तक वैश्विक तापमान के और अधिक बढ़ने की आशंका है।''

 

Yaspal

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