UN में इस्लामोफोबिया पर पाकिस्तान का प्रस्ताव मंजूर; भारत-फ्रांस ने जताया विरोध, खतरे से किया आगाह

Thursday, Mar 17, 2022 - 12:26 PM (IST)

 इंटरनेशनल डेस्क: संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया में इस्लाम और मुसलमानों के प्रति पूर्वग्रह को देखते हुए हर वर्ष 15 मार्च को इस्लामोफोबिया डे मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने मुस्लिम देशों के संगठन   (OIC) के प्रस्ताव को 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा के सामने रखा जिसे कई देशों के समर्थन से पास कर दिया गया, लेकिन भारत और फ्रांस ने इसका विरोध किया।

 
इस्लामोफोबिया डे मनाने के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भारत के राजदूत ने कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग धार्मिक समुदायों के प्रति भय, नफरत और पूर्वग्रह की भावना देखी जा रही है ना कि सिर्फ अब्राहमिक आस्था के प्रति। अब्राहमिक आस्था में इस्लाम, इसाई, यहूदी जैसे धर्म आते हैं जो एक खुदा को मानते हैं मूर्ति पूजा के खिलाफ हैं। भारत ने  कहा कि डर, भय या पूर्वग्रह की भावना किसी एक धर्म के प्रति नहीं बल्कि अलग-अलग धर्मों को लेकर है। ऐसे में किसी एक धर्म के लिए फोबिया को स्वीकार करने और अन्य दूसरों को नजरअंदाज कर देने की जगह सभी धर्मों को समान तरजीह दी जाए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने सुझाव दिया कि इस्लामोफोबिया की जगह रिलिजियोफोबिया डे मनाया जाना चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि फोबिया जिसे हिंदी में किसी के प्रति डर, भय या पूर्वग्रह की भावना के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है, वह किसी एक धर्म को लेकर सीमित नहीं है। भारतीय राजदूत ने अफगानिस्तान के बामयान में बुद्ध की विशाल मूर्ति को ध्वस्त करने, मंदिरों और गुरुद्वारों पर हो रहे हमले, गुरुद्वारे में सिख श्रद्धालुओं का नरसंहार और मंदिरों की मूर्तियां तोड़े जाने को गौरवान्वित किए जाने आदि के उदाहरण गिनाए और कहा कि ये उदाहरण सबूत हैं कि गैर-अब्राहमिक धर्मों (हिंदुओं, सिखों, बौधों समेत मूर्ति पूजा और अनेक ईश्वर में विश्वास रखने वालों) के प्रति कितनी नफरत पनप चुकी है। उन्होंने कहा, 'दरअसल इस बात के पक्के सबूत हैं कि बीते कुछ दशकों में गैर-अब्राहमिक धर्मों के प्रति भी किस कदर नफरत, भय और पूर्वग्रह पनप चुका है। आज के दिन हिंदुओं, बौद्धों और सिखों के खिलाफ नफरत को मिल रहा है।'
  

Tanuja

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