UK election: ब्रिटेन में क्या है आम चुनाव की प्रक्रिया, कैसे बनती है सरकार (जानें खास बातें)
Thursday, Dec 12, 2019 - 12:56 PM (IST)
लंदनः ब्रिटेन में गुरुवार यानि आज 13 दिसंबर को आम चुनाव हो रहे हैं जिसमें मुख्य मुकाबला कंजरवेटिव और लेबर दो बड़ी पार्टियों के बीच है। माना जा रहा है कि इस बार सरकार बनाने में भारतीय मूल के निवासियों की अहम भूमिका रहेगी। इस लिहाज से पार्टियों ने भी भारतीयों को विशेष तौर पर हिंदुओं को रिझाने में कसर नहीं छोड़ी। चार साल के भीतर ब्रिटेन में तीसरी बार आम चुनाव करवाए जा रहे हैं। भारत की लोकसभा की तरह वहां हाउस ऑफ कॉमन्स होता है जिसके सांसदों को जनता चुनती है। आइए जानते हैं कि ब्रिटेन में आम चुनाव किस तरह से कराए जाते हैं।
हाउस ऑफ कॉमन्स
भारत में जिस तरह से लोकसभा सांसद का चुनाव होता है उसी तरह ब्रिटेन में लोग हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए अपने सांसद का चुनाव करते हैं। ब्रिटेन में कुल 650 संसदीय क्षेत्र हैं। इनमें से 533 क्षेत्र इंग्लैंड में, 59 स्कॉटलैंड में, 40 वेल्स में और18 नॉर्दर्न आयरलैंड में हैं।
कितने अंतराल में होते है चुनाव
पार्ल्यामेंट ऐक्ट के मुताबिक ब्रिटेन में भी पांच साल के अंतर पर आम चुनाव होते हैं। इस हिसाब से अगला चुनाव 5 मई 2022 में होना था लेकिन ब्रेग्जिट को लेकर समीकरण कुछ इस तरह बने कि मध्यावधि चुनाव की घोषणा करनी पड़ी। पूर्व प्रधानमंत्री थरेसा में ने भी यूरोपीय संघ से अलग होने में कठोरता बनाने के लिए मध्यावधि चुनाव करवाए थे। थरेसा मे को चुनाव में बहुमत नहीं मिला और फिर प्रधानमंत्री बने बोरिस जॉनसन ने जुलाई में अल्पमत सरकार का कामकाज संभाला। लेबर पार्टी भी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी।
ओपिनियन पोल में प्रधानमंत्री बोरिस को बढ़त
जिस पार्टी के ज्यादा सांसद होते हैं वही सरकार बनाती है, इसके अलावा गठबंधन सरकार बनाने का भी समीकरण बन सकता है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का चयन महारानी संसदीय प्रक्रिया के द्वारा करती हैं। ब्रिटेन में मुख्य मुकाबला कंजरवेटिव पार्टी और लेबर पार्टी के बीच है। इसके अलावा लिबरल डेमोक्रेट्स, स्कॉटिश नैशनल पार्टी भी मैदान में हैं। ज्यादातर ओपिनियन पोल में कंजरवेटिव पार्टी को आगे दिखाया गया है। ब्रिटेन में बहुमत का जादुई आंकड़ा 326 सीटों का है। सर्वेक्षणों में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को बढ़त मिलती दिख रही है।
भारत जैसी है सरकार बनाने की प्रक्रिया
आम तौर पर जिस पार्टी की सीटें ज्यादा होती हैं वही ब्रिटेन में सरकार बनाती है। भारत की तरह वहां भी कम सीटें जीतने पर भी पार्टी अन्य पार्टियों के साथ मिलकर अल्पमत सरकार बना सकती है। इसके बाद प्रधानमंत्री पद के लिए एक प्रतिनिधि चुना जाता है जो कि पहले से भी घोषित हो सकता है। प्रधानमंत्री विभिन्न विभागों के लिए प्रभारियों की नियुक्ति करता है और उनमें से ही वरिष्ठ लोग कैबनेट में शामिल होते हैं। प्रधानमंत्री का चयन महारानी करती हैं।
वोट देने के ये हैं कायदे-कानून
- भारत की ही तरह ब्रिटेन में भी 18 साल के ऊपर के लोग वोट डाल सकते हैं।
- 16 साल की आयु सीमा के बाद वोट केलिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है ।
- इसके लिए ब्रिटेन का नागरिक होना जरूरी है।
- कॉमनवेल्थ देशों और आयरलैंड के वे नागरिक जो ब्रिटेन में रहते हों, भी वोट दे सकते हैं।
अहम है भारतीयों की भूमिका
माना जा रहा है कि इस बार ब्रिटेन के भारतीय मूल के निवासियों का सरकार बनाने में अहम रोल होगा। यहां भारतीयों की बड़ी आबादी रहती है। कंजरवेटिव पार्टी हिंदुओं को भी रिझाने में सक्षम रही है। वहीं लेबर पार्टी ने कश्मीर पर भारत विरोधी बयान देकर हिंदुओं को अपने खिलाफ खड़ा कर लिया है। ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी ने 25 भारतीय मूल के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है वहीं लेबर ने 13 उम्मीदवारों को उतारा है।