दिग्गजों की जंग का मैदान रहा ऊधमपुर क्षेत्र, कर्ण सिंह से लाल सिंह तक का विजयी गढ़

Monday, Mar 25, 2019 - 02:06 PM (IST)

जम्मू, 24 मार्च (बलराम सैनी): करीब 25 लाख की आबादी वाले विशाल क्षेत्र में फैली कठुआ-ऊधमपुर-डोडा संसदीय सीट शुरू से ही राज्य के बड़े दिग्गज नेताओं की जंग का मैदान रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह से पहले जम्मू-कश्मीर के सदर-ए-रियासत एवं केंद्रीय मंत्री रहे डा. कर्ण सिंह, राज्य के वित्तमंत्री रहे गिरदारी लाल डोगरा, वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे प्रो. चमनलाल गुप्ता एवं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रहे चौ. लाल सिंह लोकसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। यह क्षेत्र नेताओं के लिए इतना सौभाग्यशाली रहा है कि जीतने वाले नेता तो बुलंदियों पर पहुंचे ही, हारने वाले नेताओं ने भी राजनीति की बुलंदियां छूकर लम्बी पारी खेली। उदाहरण के तौर पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, राज्य के उप-मुख्यमंत्री रहे वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डा. निर्मल सिंह और राज्य के पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष जनकराज गुप्ता का नाम लिया जा सकता है। 
कठुआ-ऊधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र न केवल भौगोलिक दृष्टि से मैदानी एवं पहाड़ी इलाकों का संगम है, बल्कि हिन्दू एवं मुस्लिम मतदाताओं का लगभग समान प्रभाव होने के कारण साम्प्रदायिक सद्भाव के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। बेशक, अभी तक हुए एक उपचुनाव को छोडक़र शेष तमाम आम चुनावों में इस सीट पर हिन्दू उम्मीदवार ही कामयाब रहा है, लेकिन फिर भी तमाम राजनीतिक दल टिकट आवंटन के समय मुस्लिम मतदाताओं की भावनाओं के अनुरूप समीकरण देखकर ही प्रत्याशी का चयन करती हैं। इस संसदीय क्षेत्र में कठुआ, ऊधमपुर, रियासी, डोडा, किश्तवाड़, रामबन जिले और 17 विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं। 
 

पहली तीन लोकसभाओं में मनोनयन की प्रक्रिया के बाद वर्ष 1967 में जब चौथी लोकसभा के लिए चुनाव हुए तो कांग्रेस प्रत्याशी जी.एस. ब्रिगेडियर कठुआ-ऊधमपुर-डोडा क्षेत्र से जीतकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन अगले ही साल 1968 में कांग्रेस टिकट पर डा. कर्ण सिंह ने उपचुनाव जीतकर इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद 1971, 1977 एवं 1980 में क्रमश: पांचवीं, छठी व सातवीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में भी डा. कर्ण सिंह इस क्षेत्र से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे और इस दौरान वह इंदिरा गांधी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। वर्ष 1984 में आठवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में विजय हासिल कर राज्य के वित्तमंत्री रहे कांग्रेसी दिग्गज गिरधारी लाल डोगरा ने कठुआ-ऊधमपुर-डोडा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन उनके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के ही मोहम्मद आयूब खान विजयी हुए। 1989 में नौवीं लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी धर्मपाल शर्मा इस क्षेत्र के सांसद बने तो 1991 में राज्य में हालात खराब होने के कारण 10वीं लोकसभा के लिए चुनाव नहीं हो पाए। 
 


वर्ष 1996 में 11वीं लोकसभा के लिए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रो. चमनलाल गुप्ता ने कांग्रेस प्रत्याशी जनकराज गुप्ता को पराजित किया। इसके बाद 1998 एवं 1999 में क्रमश: 12वीं एवं 13वीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में भी प्रो. चमनलाल गुप्ता कांग्रेस को पराजित करके संसद पहुंचे और वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। वर्ष 2004 में 14वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौ. लाल सिंह ने भाजपा के प्रो. चमनलाल गुप्ता को पराजित किया तो 2009 में 15वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में फिर कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे चौ. लाल सिंह ने भाजपा प्रत्याशी डा. निर्मल सिंह को पराजित किया। 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डा. जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी गुलाम नबी आजाद को शिकस्त दी और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने।  
 
 


क्या है पिछले चुनाव का गणित
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डा. जितेंद्र सिंह ने 487369 वोट हासिल किए थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी गुलाम नबी आजाद को 426393 वोट प्राप्त हुए थे। तीसरे स्थान पर रहे पी.डी.पी. प्रत्याशी मोहम्मद अरशद मलिक को 30461, नैशनल पैंथर्स पार्टी के संरक्षक प्रो. भीम सिंह को 25312 और बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी धर्मपाल बल्गोत्रा को 16437 वोटों पर संतोष हासिल करना पड़ा था। 


 
भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला
वर्ष 2014 की ही तर्ज पर वर्तमान लोकसभा चुनाव में भी कठुआ-ऊधमपुर-डोडा सीट पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच ही कड़ा मुकाबला होगा। भाजपा ने एक बार फिर अपने पुराने चेहरे मोदी सरकार में मंत्री डा. जितेंद्र सिंह पर विश्वास दर्शाया है, जबकि कांग्रेस ने नए चेहरे विक्रमादित्य सिंह को टिकट देकर मैदान में उतारा है। विक्रमादित्य सिंह जम्मू-कश्मीर के अंतिम महाराजा हरि सिंह के पौत्र एवं कांग्रेस के दिज्गज नेता डा. कर्ण सिंह के पुत्र हैं। खुद डा. कर्ण सिंह चार पर इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके अलावा नैशनल कांफ्रैंस एवं पी.डी.पी. ने कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन देकर इस मुकाबले को और भी रोमांचक बना दिया है। 
 

Monika Jamwal

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