ट्रंप-किम में ऐतिहासिक वार्ता

punjabkesari.in Monday, Jun 11, 2018 - 04:05 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तथा उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग-उन के बीच होने वाली पहली शिखर वार्ता पर दुनिया भर की नजरें टिकी हुई हैं। राजनयिक स्तर पर शर्तिया तौर पर यह एक बेहद बड़ा सौदा होगा और फिलहाल हर किसी के मन में प्रश्न उठ रहे हैं कि दोनों नेताओं के बीच क्या बात होगी? क्या उनकी बैठक विश्व को पहले से सुरक्षित स्थान बनाएगी? उत्तर कोरियाई नागरिकों पर इसका क्या असर होगा? साथ ही कुछ लोगों के मन में एक प्रश्न यह भी है कि इस बैठक को सम्भव बनाने से आईस स्केटिंग का क्या लेना-देना है?

बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि परमाणु हथियारों से युक्त दोनों देश कुछ वक्त पहले तक एक-दूसरे को नेस्तनाबूद कर देने की धमकियां दे रहे थे। 1950 तथा 60 के दशकों से ही परमाणु हथियार हासिल करने के प्रयासों, अपने पड़ोसी देशों विशेषकर दक्षिण कोरिया के प्रति आक्रामक रवैया अपनाने तथा बेहद खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड के लिए कुख्यात उत्तर कोरिया के नेताओं की सोच रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति से आमने-सामने बातचीत से अंतत: उन्हें गम्भीरता से लिया जाने लगेगा। दूसरी ओर अमेरिका सहित अधिकतर देशों का कहना था कि जब तक उत्तर कोरिया सही रास्ते पर नहीं चलता, उससे किसी तरह की बातचीत नहीं की जाएगी।

सारा माहौल इस साल बदल गया जब अचानक 1 जनवरी को किम ने कहा कि वह अपने कट्टर दुश्मन दक्षिण कोरिया के साथ बातचीत करना चाहता है। सबसे पहले उसने दक्षिण कोरिया में आयोजित होने जा रहे विंटर ओलिम्पिक्स में आईस स्केटर्स सहित अपनी टीम भेजने की इच्छा जाहिर की। काफी बातचीत के बाद उत्तर तथा दक्षिण कोरिया ने फरवरी में एक टीम के रूप में विंटर ओलिम्पिक्स में हिस्सा लिया। फिर मार्च में सीनियर दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने अमेरिका तक यह संदेश पहुंचाया कि किम राष्ट्रपति ट्रम्प से मिलना चाहते हैं और वह सभी परमाणु तथा मिसाइल परीक्षण रोक कर परमाणु रहित देश बनने को राजी है। किम की इस पहल को ट्रम्प ने तुरंत स्वीकार किया।

इसके बाद उत्तर तथा दक्षिण कोरिया के बीच अप्रैल तथा मई में वार्ताएं हुईं और उत्तर कोरिया ने अपनी ओर से सभी न्यूक्लियर टैस्ट रोक देने तथा टैस्ट साइट्स को खत्म करने की घोषणा भी की। बीच में कुछ वक्त के लिए लगा कि वार्ता रद्द हो गई है परंतु अंतत: सब ठीक हो गया और दोनों 12 जून को मिलने जा रहे हैं। इसके बाद से ही सभी को लग रहा है कि दोनों नेताओं की यह बैठक हमेशा के लिए इतिहास का रुख मोड़ सकती है। दोनों के बीच क्या बातें होंगी इसके अभी अंदाजे ही लगाए जा सकते हैं परंतु इतना अवश्य है कि अमेरिका का जोर उत्तर कोरिया को परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए राजी करने पर होगा तो बदले में वह खुद पर लगे प्रतिबंध हटाने की मांग करेगा। यहां इस तथ्य को भी ध्यान में रखना होगा कि इससे पहले भी उत्तर कोरिया कई सारे बड़े-बड़े वायदे करके उनसे साफ मुकर चुका है।

उन दोनों में और चाहे जो भी बातें होंगी, एक बात लगभग पक्की है कि उत्तर कोरिया के बेहद खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड पर बात नहीं होगी। धूल, मिट्टी और अव्यवस्था का सिंगापुर में कोई स्थान नहीं परंतु इसे इसलिए भी चुना गया है कि उसे ऐसी शीर्ष बैठकों का आयोजन करने का काफी अनुभव है। गत नवम्बर में चीन व ताईवान के राष्ट्रपतियों के बीच 1949 के बाद पहली मुलाकात कड़ी सुरक्षा में यहीं हुई थी। यह भी कहा जाता है कि किम का विमान इससे अधिक दूरी तक जाने में सक्षम ही नहीं है। सिंगापुर के सुरक्षित व तटस्थ देश होने के साथ-साथ दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। जिन कुछेक देशों में उत्तर कोरिया के दूतावास हैं उनमें सिंगापुर भी एक है।

वार्ता के दौरान ट्रम्प शांगरी ला होटल तथा किम सेंट रेजिस होटल में ठहरेंगे जबकि दोनों की मुलाकात एक पुल द्वारा मुख्यभूमि से जुड़े सेंटोसा टापू पर आलीशान कापेला होटल में होगी। यह टापू डिज्नीलैंड जैसे अपने रिजॉटर्स, वाटर पार्कों तथा गोल्फ कोर्सों के लिए मशहूर है। सिंगापुर में इन नेताओं के बीच पहली वार्ता को लेकर खासा उत्साह है। शहर के रेस्तरांओं तथा होटलों ने शिखर वार्ता के सम्मान में विशेष व्यंजन तथा पेय बना कर उन्हें विशेष नाम दिए हैं जैसे ‘एल ट्राम्पो टाको’, ‘रॉकेट मैन टाको’, ‘किम एंड ट्रम्प कॉकटेल’ आदि। - विजय कुमार


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