तृणमूल ने कभी आसनसोल लोकसभा सीट से जीत का स्वाद नहीं चखा, क्या शत्रुघ्न सिन्हा तोड़ पाएंगे मिथक?

Tuesday, Apr 05, 2022 - 03:05 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अभिनेता से राजनेता बने शत्रुघ्न सिन्हा की लोकप्रियता और हिंदी-भाषी आबादी के बीच उनकी पकड़ के सहारे तृणमूल कांग्रेस आसनसोल लोकसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में जीत की उम्मीद कर रही है। वहीं 'बिहारी बाबू' के नाम से मशहूर सिन्हा इस औद्योगिक शहर में बाहरी होने का तमगा उतारने की कोशिश में जुटे हैं। बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल ने कभी भी आसनसोल लोकसभा सीट पर जीत का स्वाद नहीं चखा है, लेकिन इस बार वह इस मिथक को तोड़ने के लिए जी-जान से जुटी हुई है। तृणमूल कांग्रेस के पश्चिम बर्धमान जिले के संयोजक वीएस दासु ने कहा, ''हमें उम्मीद है कि लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय सिन्हा इस सीट पर जीत हासिल करेंगे।'' पूर्व केंद्रीय मंत्री व आसनसोल से दो बार सांसद चुने गए बाबुल सुप्रियो ने पिछले साल भाजपा छोड़ तृणमूल का दामन थाम लिया था। इसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके चलते इस सीट पर उपचुनाव की जरूरत पड़ी है।

12 अप्रैल को मतदान होगा, 16 अप्रैल को मतगणना
उपचुनाव के लिए 12 अप्रैल को मतदान होगा। मतगणना 16 अप्रैल को की जाएगी। सुप्रियो के सहारे साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में आसनसोल में जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर इस सीट को अपनी झोली में डालने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने सिन्हा के खिलाफ अग्निमित्रा पॉल को मैदान में उतारा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद भाजपा छोड़ने वाले सुप्रियो तृणमूल के टिकट पर बालीगंज विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर भी 12 अप्रैल को मतदान होगा। लोकसभा उपचुनाव में भी ''अपने और बाहरी'' की बहस चल रही है। इसी चुनावी दांव ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने में तृणमूल की मदद की थी। हालांकि, इस बार तृणमूल पर ही बाहरी उम्मीदवार उतारने का आरोप लग रहा है।

भाजपा सिन्हा पर बनी हुई है हमलाभर 
भाजपा सिन्हा को ''बाहरी'' बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। आसनसोल लोकसभा सीट पर मौजूद लगभग 15 लाख मतदाता कोयला खादान श्रमिक, कारखाने में काम करने वाले मजजदूर और छोटे कारोबारी हैं। लगभग 45 प्रतिशत मतदाता हिंदी भाषी हैं। इस क्षेत्र में लगभग 15 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी भी है। तृणमूल के सूत्रों के मुताबिक, पटना साहिब से दो बार के सांसद रहे सिन्हा पार्टी की राष्ट्रीय संपर्क रणनीति का हिस्सा हैं। सिन्हा ने अपने राजनीतिक जीवन की ज्यादातर अवधि में दिल्ली में काम किया है।

मैं किसी अन्य बंगाली से कम बंगाली नहीं हूं- शत्रुघ्न सिन्हा
फिल्मों में जोरदार संवादों के लिए प्रशंसकों के बीच 'शॉटगन' के नाम से मशहूर सिन्हा ने हालांकि, अपने प्रतिद्वंद्वियों द्वारा दिए गए ''बाहरी'' तमगे को खारिज कर दिया है। सिन्हा चार दशक तक भाजपा में रहे, इसके बाद थोड़े समय के लिए उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा और फिर तृणमूल में शामिल हो गए। सिन्हा ने कहा, ''मैं किसी अन्य बंगाली से कम बंगाली नहीं हूं। मैं बाहरी नहीं हूं। मैंने हमेशा बंगाली भाषा और बंगाली संस्कृति को पसंद किया है। मैंने बंगाल में कई फिल्में की हैं और मैं फिल्मों में जो बंगाली संवाद बोलता हूं, वे डब किए हुए नहीं होते हैं।'' पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सिन्हा ने कहा, ''मेरी जन्मभूमि बिहार की तरह ही बंगाल भी हमेशा मेरे दिल में रहा है।''

भाजपा उम्मीदवार का सिन्हा पर पलटवार
भाजपा उम्मीदवार व आसनसोल दक्षिण सीट से विधायक पॉल ने सिन्हा पर पलटवार करते हुए पूछा है कि पिछले साल के विधानसभा चुनावों से पहले अन्य राज्यों के भाजपा नेताओं को बाहरी बताने वाली तृणमूल इस बारे में क्या कहेगी। पॉल ने इस सीट पर भाजपा की जीत की उम्मीद जताते हुए कहा, ''मैं यहीं पैदा हुई और पली-बढ़ी हूं। मैं इस क्षेत्र से विधायक हूं, लेकिन तृणमूल उम्मीदवार का पश्चिम बंगाल या इस जगह से कोई संबंध नहीं है। तृणमूल विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा नेताओं को 'बाहरी' करार देती थी।

​​​​​​​सुप्रियो को 2014 में 36.75 प्रतिशत वोट मिले थे
उसे इस दोहरेपन की व्याख्या करनी चाहिए।'' आसनसोल लोकसभा क्षेत्र 1980 के दशक के अंत तक काफी हद तक कांग्रेस का गढ़ रहा। हालांकि, 1989 में यह माकपा का गढ़ बन गया। 2014 के लोकसभा चुनावों में हवा का रुख बदला और आसनसोल के लोगों ने भाजपा उम्मीदवार सुप्रियो को जिताया, जो उस समय राजनीति में नए थे। सुप्रियो को 2014 में 36.75 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2019 के चुनाव में बढ़कर 51.16 प्रतिशत हो गए। हालांकि, तृणमूल ने 2021 के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र में मजबूत बढ़त हासिल करते हुए सात में से पांच सीटों पर जीत हासिल की थी और पार्टी उपचुनाव में भी इसी तरह के करिश्मे की उम्मीद कर रही है। 

rajesh kumar

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