SC में बोले सिब्बल- 'जब राम से जुड़ी आस्था पर सवाल नहीं, तो तीन तलाक पर क्यों'?

Tuesday, May 16, 2017 - 01:45 PM (IST)

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज सुप्रीम कोर्ट से कहा कि तीन तलाक आस्था का मामला है जिसका मुस्लिम बीते 1,400 वर्ष से पालन करते आ रहे हैं इसलिए इस मामले में संवैधानिक नैतिकता और समानता का सवाल नहीं उठता है। तीन तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई का आज चौथा दिन है। जिस पीठ के समक्ष यह सुनवाई हो रही है उसमें सिख, ईसाई, पारसी, हिंदू और मुस्लिम समेत विभिन्न धार्मिक समुदायों के सदस्य शामिल हैं। वहीं कोर्ट ने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से पूछा कि whatsapp पर तलाक देने पर आपकी क्या राय है, क्या ये इस्लाम में सही है।  जस्टिस कुरियन जोसेफ ने जब कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या कोई ई-तलाक जैसी भी चीज है, तो वे कोई जवाब नहीं दे पाए।

'राम से जुड़ी आस्था पर सवाल नहीं तो तीन तलाक पर क्यों'
मुस्लिम संगठन ने तीन तलाक को हिंदू धर्म की उस मान्यता के समान बताया जिसमें माना जाता है कि भगवान राम अयोध्या में जन्मे थे। एआईएमपीएलबी की आेर से पेश पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘तीन तलाक सन् 637 से है। इसे गैर-इस्लामी बताने वाले हम कौन होते हैं। मुस्लिम बीते 1400 वर्षों से इसका पालन करते आ रहे हैं। यह आस्था का मामला है। इसलिए इसमें संवैधानिक नैतिकता और समानता का कोई सवाल नहीं उठता।’’ उन्होंने एक तथ्य का हवाला देते हुए कहा कि तीन तलाक का स्रोत हदीस पाया जा सकता है और यह पैगंबर मोहम्मद के समय के बाद अस्तित्व में आया। मुस्लिम संगठन ने ये दलीलें जिस पीठ के समक्ष दी उसका हिस्सा न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर भी हैं।

केंद्र लाएगा नया कानून
सोमवार को केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा था कि यदि ‘तीन तलाक’ समेत तलाक के सभी रूपों को खत्म कर दिया जाता है तो मुस्लिम समुदाय में निकाह और तलाक के नियमन के लिए वह नया कानून लेकर आएगा।

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