वैष्णो देवी से भैरोघाटी रोपवे का सफल ट्रायल, तीन घंटे का सफर मात्र पांच मिनट में (Video)

Sunday, Dec 23, 2018 - 09:44 PM (IST)

कटड़ा (अमित):वैष्णो देवी भवन से भैरव घाटी तक रोपवे सेवा का सफलता पूर्वक ट्रायल किया गया। रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने इस सेवा का लाभ उठाया। माता वैष्णो देवी के भवन से भैरो घाटी तक पहुंचने के लिए अब पांच मिनट लगेंगे। इसके बाद अब भैरो जी के दर्शन और आसान हो जाएंगे। भवन से यहां पैदल पहुंचने में तीन घंटे लगते हैं।

सोमवार को जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक राजभवन से इस रोपवे का विधिवत उद्घाटन करेंगे। इससे पहले रविवार को विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना के बाद इस रोपवे सेवा का ट्रायल हुआ जिस दौरान श्राइन बोर्ड के सीईओ सिमरनदीप सिंह सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग व बोर्ड के कई अधिकारियों ने भाग लिया। जिसके बाद करीब 12 बजे से इस रोपवे का ट्रायल शुरू कर दिया।

बड़ी संख्या में दर्शनों को आए श्रद्धालुओं ने इस केबल कार से सफर कर भैरव घाटी में नमन किया भैरव घाटी से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस संबंध में जानकारी देते हुए लखनऊ के श्रद्धालु रोहित पांडे, सुमेश, संजीविनी ने बताया कि वह परिवार के साथ दर्शनों के लिए आए है, यात्रा के दौरान उन्हें जानकारी मिली की वैष्णो देवी भवन से भैरो घाटी के बीच रोपवे सेवा का ट्रायल चल रहा है। इसके बाद उन्होंने प्लान बनाया कि वह रोप वे से भैरो घाटी में नमन करने के बाद ही वापस जाएंगे।

भवन भैरो घाटी का सफर रोप वे से करने के बाद उन्होंने बताया कि उनका सफर काफी आरामदायक रहा है और उनकी यात्रा भी भैरव घाटी में नमन करने के बाद संपूर्ण हुई है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी कई बार दर्शनों के लिए आए पर काफी चढ़ाई होने के कारण बिना भैरव बाबा मैं नमन किए ही वापस लौट जाते थे, पर अब बह हर बार भैरो घाटी में नमन के बाद ही वापसी करेंगे।

1500 श्रद्धालुओं ने उठाया निशुल्क ट्रायल का लाभ
 रविवार को हुए भवन से भैरो घाटी रोप वे ट्रायल के दौरान करीब 1500 यात्रियों ने इस सेवा का लाभ उठाया। इस दौरान निशुल्क सेवा का लाभ लेने वाले श्रद्धालु काफी उत्साहित नजर आए। हर कोई इस होड़ में था कि वह इस ट्रायल के दौरान ही भैरव घाटी का सफर तय कर अपनी यात्रा पूरी कर सके, पर समय के अभाब के कारण बहुत से श्रद्धालुओं को इस सेवा का लाभ लेने का मौका नहीं मिला। कई श्रद्धालु इस सेवा का लाभ लेने हेतु सोमवार तक भवन पर रुके रहे।


 

shukdev

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