''3 साल में पूरा होगा सड़क से 12 घंटे में दिल्ली से मुंबई पहुंचने का सपना''

Tuesday, Jul 16, 2019 - 02:25 PM (IST)

नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में सड़क, पोत परिवहन और जल संसाधन के क्षेत्रों में 17 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं को अवार्ड (रिपीट अवार्ड) किया गया, लेकिन एक रुपए का भ्रष्टाचार नहीं हुआ। वहीं गडकरी ने लोकसभा में कहा कि आप दिल्ली से मुंबई मात्र 12 घंटे में पहुंच पाएंगे और यह सपना सच होने में ज्यादा-से-ज्यादा तीन साल लगने वाला है। उन्होंने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इससे दोनों महानगरों की दूरी 120 किलोमीटर कम हो जाएगी।

सड़क परिवहन मंत्री ने लोकसभा में कहा कि इस ग्रीन हाइवे के 60 प्रतिशत कॉन्ट्रैक्ट आवंटित किए जा चुके हैं, इसलिए ढाई से तीन साल के बाद 12 घंटों में दिल्ली से मुंबई जाना संभव हो जाएगा। वहीं गडकरी ने बताया कि दिल्ली-मुंबई मार्ग देशभर में तैयार किए जा रहे ग्रीन एक्सप्रेस हाइवे नेटवर्क का ही एक हिस्सा है। यह गुड़गांव से शुरू होकर सवाई माधोपुर, अलवर, रतलाम, झाबुआ, बड़ोदरा से होकर मुंबई जाएगा। लोकसभा में ‘वर्ष 2019-20 के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों' पर चर्चा का जवाब देते हुए गडकरी ने यह भी कहा कि ‘भारत माला' परियोजना के पहले चरण में 24800 किलोमीटर सड़क का निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सदन को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जो प्राथमिकता तय की थी उसके बहुत अच्छे नतीजे आए हैं।''

मंत्री ने कहा कि पांच साल में 17 लाख करोड़ रुपए के काम अवार्ड (रिपीट अवार्ड) हुए। इनमें से 11 लाख करोड़ रुपए के काम सड़क क्षेत्र में, छह लाख करोड़ रुपए के काम पोत परिवहन और एक लाख करोड़ रुपए जल संसाधन क्षेत्र में थे। सड़क परिवहन मंत्री ने कहा कि हम 22 ग्रीन एक्सप्रेसवे बना रहे हैं। इनमें से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे एक है। मंत्री ने कहा कि भूमि अधिग्रहण थोड़ी समस्या है। कई सांसदों ने कुछ मुद्दे उठाए हैं, लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि 80 फीसदी भूमि का अधिग्रहण होने तक हम सड़क निर्माण का काम शुरू नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि सरकार ने पहले से रुकी हुई परियोजनाओं से संबंधित 95 फीसदी समस्याएं खत्म की हैं। इससे बैंकों का तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक एनपीए (गैर निष्पादक संपत्तियां) होने से बचा।

Seema Sharma

Advertising