दिल्ली की जहरीली हवाः बचने के लिए करें ये उपाय

Wednesday, Nov 08, 2017 - 11:52 PM (IST)

नई दिल्लीः आमतौर पर अक्तूबर और दिसंबर के दौरान हवा का बहाव कम रहने और नमी के कारण वातावरण के दूषित कण घुल जाते हैं लेकिन बीते दिनों राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर तय मानकों को 16 बार पार कर गया। इसके चलते दिल्ली गैस चैम्बर जैसी हो गई है। आइए जानते हैं आखिर कैसे प्रदूषण फैलता है और इससे बचने के कौन-कौन से उपाय हैं।     
सड़कों की धूल, वाहनों का धुआं
कम तामपान और कोहरा मिलकर वातावरण में कंबल की तरह प्रदूषण की एक परत तैयार करते हैं। इस पर धूलकण इकट्ठे हो जाते हैं। सतह से हवा और धूल के कण प्रदूषण की सतह पर दबाव बनाती हैं लेकिन सतह को चीर नहीं पातीं और वापस वातावरण में घूमती रहती हैं। एक जानकारी के मुताबिक दिल्ली में हर दिन 4000 टन धूल-मलबा पैदा होता है। जबकि इसमें मात्र 10 फीसदी जमीन के अंदर जाता है। आईआईटी कानपुर के अनुसार, मलबा-धूल पीएम 2.5 और पीएम 10 प्रदूषण के बड़े वाहक हैं। इसके अलावा दिल्ली में कुल 89 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हैं। जबकि रात 10 बजे के बाद एक लाख से अधिक ट्रक राजधानी में प्रवेश करते हैं। एेसे में ट्रैफिक अधिक से उनकी गति धीमी हो जाती है और ज्यादा धुआं निकलने से प्रदूषण फैलता है। 
पटाखे और कचरे को जलाना 
दिवाली पर पटाखे फोड़ने के कारण वातावरण में जहरीली गैसों की मात्र बहुत बढ़ जाती है। दिवाली के दिन पीएम 2.5 का स्तर अपने तय मानक 60 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से 42 बार अधिक दर्ज किया गया। साथ ही अक्तूबर के मध्य में हरियाणा और पंजाब के किसान धान की कटाई के बाद उनके डंढल को खेत में ही जला देते हैं। आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार, इसके कारण पीएम 2.5 कई गुना ज्यादा हो जाता है।

बचाव के लिए इन उपायों का जरूर करें पालन : 
हवा शुद्ध करने वाले पौधे  

एक अध्ययन के मुताबिक, वीपिंग फिग, पीस लिलि, फैलेमिंगो फ्लॉवर, एस्परागस फर्न और डेविल्स आईवी जैसे पौधे हवा को स्वच्छ करते हैं। घर में हवा को स्वच्छ करने के लिए दस वर्ग मीटर की दूरी पर पौधा लगाने चाहिए।
बाहर सैर करने से बचें, बच्चों को न निकले दें
एेसे में अाप घर के बाहर जितना ज्यादा सक्रिय रहेंगे, उतना ही प्रदूषित हवा ग्रहण करेंगे। लिहाजा बाहर कसरत या फिर सैर करने से बचना चाहिए। कसरत से फायदा कम दूषित हवा से नुकसान ज्यादा होगा। इसके अलावा सर्दी के दौरान दिन के मुकाबले रात के समय तापमान ज्यादा ठंडा होता है। इस वजह से प्रदूषक तत्व हवा में ज्यादा होते हैं। एेसे में रात में बाहर निकलने से बचना चाहिए। वहीं, एक वयस्क की तुलना में बच्चों के सांस लेने की दर ज्यादा होती है, लिहाजा बच्चे बड़ों की तुलना में ज्यादा प्रदूषक तत्व ग्रहण करते हैं। उनके शरीर में टॉक्सिन लंबे समय तक रहते हैं।
मार्केट से अच्छे मास्कों का करें उपयोग
दिल्ली के मौजूदा वातावरण में समय में सस्ते और सजिर्कल मास्क से राहत नहीं मिलेगी। बल्कि एेसे मास्कों का उपयोग करना चाहिए, जिसमें कार्बन फिल्टर लेयर हो और चेहरे को अच्छे से ढके। इसके लिए 3एम, एन 95 और एन99 मास्क बेहतर विकल्प हैं। साथ ही जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की ओर से किए गए अध्ययन में यह पाया गया है कि अगर तीन महीने तक ब्रोकली का नियमित तौर पर सेवन किया जाए तो यह फेफड़ों को स्वस्थ बनाती है।

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