जब तक वैक्सीन नहीं मिल जाती, तब तक कोरोना के साथ रहना सीखना होगा- केजरीवाल

Sunday, Sep 06, 2020 - 09:56 AM (IST)

नेशनल डेस्कः एक समय दिल्ली को कोरोना कैपिटल कहा जाने लगा था। हालात काफी गंभीर हो रहे थे लेकिन टैस्टिंग को बढ़ाया, मास्क पहनने व बार-बार हाथ धोने की अपील की। अब स्थिति नियंत्रण में हो गई है। आक्सीमीटर बांटने और प्लाज्मा थैरेपी के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। कोरोना की स्थिति और राजनीतिक मामलों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब केसरी/जग बाणी/नवोदय टाइम्स/हिंद समाचार के साथ विशेष बातचीत की।

 

दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को आप किस तरीके से देखते हैं? वैसे दिल्ली में कोरोना का रिकवरी रेट बहुत अच्छा है लेकिन कुछ दिनों में कमी आई है। आप क्या कहेंगे?
जवाब : दिल्ली में जब जून में लॉकडाऊन खोला था तो 15-20 दिन के लिए स्थिति गंभीर हो गई थी। हमने बैठकर योजना बनाई। यह देखा कि सिस्टम में कमियां कहां-कहां हैं, उन्हें दूर किया, सभी को साथ लिया। केंद्र सरकार और एजैंसियों से मदद ली। हमें खुशी है कि सभी से मिलकर दिल्ली की स्थिति को काफी नियंत्रित कर लिया गया है। रिकवरी दर लगभग 90 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय स्तर पर 76 प्रतिशत की तुलना में सबसे अच्छी है। अस्पतालों में 70 प्रतिशत से अधिक बैड खाली हैं।
हां, पिछले दिनों मामलों में थोड़ी वृद्धि हुई है। हम बार-बार जनता से गुहार लगा रहे हैं कि मास्क पहनें, सामाजिक दूरी और प्रोटोकाल का सख्ती से पालन करें। साथ ही, प्रतिदिन कोरोना टैस्ट को 20,000 से 40,000 तक दोगुना करने का निर्णय लिया है।

 

कोरोना संक्रमित मरीजों की बात करें तो दिल्ली देश में पांचवें स्थान पर है। वहीं, मौतों की बात करें तो चौथे स्थान पर है। आपकी सरकार डैथ रेशो को नीचे लाने के लिए क्या कर रही है?
जवाब : हां, एक समय था कि दिल्ली को देश का कोरोना कैपिटल कहा जाता था, अब दिल्ली मॉडल पूरे देश और दुनिया के लिए आदर्श बन गया है। अगस्त में मृत्यु दर 1.4 प्रतिशत थी, जो राष्ट्रीय मृत्यु दर 1.8 प्रतिशत से काफी कम है। एक समय था जब दिल्ली में प्रतिदिन मृत्यु की संख्या 100 से अधिक थी लेकिन अब 20 से कम है। कुछ दिनों में 10 से भी कम हो जाएगी। हम प्रयास कर रहे हैं कि मृत्यु की संख्या शून्य हो जाए। इस दिशा में हमने कई कदम उठाए हैं।

पहला, टैस्टिंग को खूब बढ़ाया। देश में सबसे ज्यादा टैस्ट दिल्ली में हो रहे हैं, जिससे संक्रमित का तुरंत पता चले और इलाज प्रारंभ हो। दूसरा होम आइसोलेशन में मरीजों को मुफ्त ऑक्सीमीटर पहुंचाया, जिससे वे लगातार ऑक्सीजन स्तर की जानकारी ले पाए और कम होते ही अस्पताल आए। इससे मरीजों की जान बचाने में काफी मदद मिली। तीसरा, एम्बुलैंस की संख्या को बढ़ाया। दिल्ली में एम्बुलैंस की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई और रिस्पांस टाइम 55 मिनट से 40 मिनट हो गया है। चौथा, देश में सबसे पहले प्लाज्मा थैरेपी अप्रैल में दिल्ली में शुरू हुई।

बेहतर परिणाम के बाद 2 जुलाई को देश का पहला प्लाज्मा बैंक बनाया और दान के लिए लोगों को जागरूक किया। हमें खुशी है कि कुछ दिनों पहले अमरीका ने भी दिल्ली की तर्ज पर प्लाज्मा थैरेपी को शुरू किया। देश के लिए फख्र की बात है कि दिल्ली ने जो किया उसे अमरीका अब कर रहा है।

 

आपने कहा था कि दिल्ली के लोग जिंदगीभर लॉकडाऊन में नहीं रह सकते। इसमें धीरे-धीरे छूट देनी होगी?
जवाब : जब तक वैक्सीन नहीं मिल जाती, तब तक कोरोना के साथ रहना सीखना होगा। लॉकडाउन लगाने का केंद्र सरकार का कदम देश के लिए महत्वपूर्ण था लेकिन हम हमेशा के लिए लॉकडाउन में नहीं रह सकते। हमें अर्थव्यवस्था को होने वाले नुक्सान से बचने के लिए लॉकडाउन को खोलना होगा। लॉकडाउन में लोगों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं और व्यवसाय बंद हो गए हैं। मेरा मानना है कि सख्त लॉकडाउन को लागू कर कोरोना को दूर नहीं कर सकते हैं, इसे राज्यों को मौजूदा स्थिति से निपटने की तैयारी के लिए इस्तेमाल करना था। इसलिए लॉकडाउन को हटाना जरूरी है। दिल्ली एक मॉडल है कि मनमाने लॉकडाऊन लगाए बिना कोरोना की स्थिति को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।

 

दिल्ली देश की राजधानी है। इसका देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है  लेकिन कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था को बड़ा नुक्सान पहुंचा है? इसे पटरी पर लाने के लिए सरकार क्या कर रही है?
जवाब : कोरोना वायरस को नियंत्रण में रखते हुए दिल्ली की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना अब हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। मुझे लगता है कि दो चीजें सबसे महत्वपूर्ण हैं। सबसे पहले लोगों के मस्तिष्क से कोरोना का डर निकालने की जरूरत है, तभी कारोबार खुलने शुरू हो सकते हैं और लोग पैसा खर्च करना शुरू करेंगेे।
दिल्ली में ऐसा देखने लगे हैं, क्योंकि यहां कोविड की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। दूसरा, सरकारों को मनमाने ढंग से लॉकडाऊन से बचना चाहिए। कई राज्यों को 2 या 5 दिन के लॉकडाऊन लगाते हुए देख रहा हूं। इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है। ये केवल अर्थव्यवस्था को और नुक्सान पहुंचाएंगे। दिल्ली इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, जहां लॉकडाऊन का सहारा लिए बिना अच्छे प्रबंधन के चलते कोविड के प्रसार को किस तरह से नियंत्रित किया है।

 

दिल्ली और पंजाब के अलावा बाकी राज्यों में पार्टी के पिछले चुनावी अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं?
जवाब : धीरे-धीरे पूरे देश में सभी तरफ आम आदमी पार्टी के संगठन का विस्तार हो रहा है। आज पूरे देश में दिल्ली के कामों की चर्चा है। पूरे देश के लोगों मेें आम आदमी पार्टी को लेकर प्यार है और इज्जत है। पूरे देश में एक नई राजनीति के रूप में आम आदमी पार्टी को देखा जा रहा है। धीरे-धीरे पूरे देश में जनता का प्यार और समर्थन मिलेगा। जिन-जिन राज्यों के लोगों की मांग होगी, वहां-वहां आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी। 

 

केंद्र सरकार के लॉकडाऊन के कदम को आप किस तरह से देखते हैं? क्या ये सही समय पर लगाया गया था?
जवाब : केंद्र सरकार द्वारा लागू लॉकडाऊन उस वक्त बहुत जरूरी था। मैं मानता हूं कि इसने लोगों के लिए बहुत असुविधा पैदा की लेकिन यह आवश्यक था, क्योंकि हमें सक्षम स्वास्थ्य प्रणाली सुनिश्चित करने की तैयारियों के लिए समय की जरूरत थी। हमारे पास उचित टैस्टिंग लैब नहीं थीं, उतने आई.सी.यू. बैड नहीं थे, विशेष कोरोना अस्पताल नहीं थे, पी.पी.ई. किट, वैंटीलेटर और कोरोना-19 रोगियों के इलाज के लिए उचित बुनियादी ढांचा नहीं था। लॉकडाऊन ने हमें यह सब तैयार करने का समय दिया।

 

इसके लिए अगर आपको केंद्र से आर्थिक मदद मांगनी पड़ी तो क्या आप मांगेंगे?
जवाब : कोरोना से लड़ाई के लिए केंद्र सरकार से 5 हजार करोड़ की मांग की है। इसके अलावा एक साल की जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति के 21000 करोड़  देने के लिए भी केंद्र सरकार से आग्रह किया है। हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार दिल्ली के लोगों का साथ देगी।

 

प्रदूषण भी दिल्ली की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। अब तो त्यौहारों का सीजन भी शुरू हो चुका है, फिर दीवाली आएगी। दिल्ली का दम घुटेगा। इसे रोकने के लिए आपकी सरकार क्या तैयारी कर रही है ?
जवाब: पिछले 6 साल में दिल्ली सरकार ने दिल्ली के 2 करोड़ लोगों के साथ मिलकर प्रदूषण पर बहुत काम किया है। इसी कारण दिल्ली का प्रदूषण स्तर 25 फीसदी कम हुआ लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं हैं। इसे और कम करना है। इसके लिए कई कदम उठा रहे हैं। दिल्ली सरकार ने इलैक्ट्रिक वाहन नीति लागू की है। यह देश की ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सबसे प्रगतिशील नीति है। अभी 2 दिन पहले ही केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आर.के. सिंह ने इसे सराहा है। हमारा सपना है कि 5 साल में इलैक्ट्रिक वाहनों के मामले में दुनिया के नक्शे में दिल्ली का एक मुकाम हो। आज लोग इलैक्ट्रिक वाहन के मामले में चीन का नाम लेते हैं, आने वाले सालों में दिल्ली का नाम लिया जाए। इसके अलावा दिल्ली की 500 किलोमीटर सड़कों को विश्व स्तरीय बना रहे हैं, जिससे रोड डस्ट को नियंत्रित किया जाएगा। साथ ही दिल्ली को बेहद खूबसूरत बना दिया जाएगा।

 

पराली के लिए आपकी सरकार पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों से बात करेगी?
जवाब : पराली से सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के राज्य प्रभावित हैं। दिल्ली सरकार हर साल पराली से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार से बात करती है लेकिन इसका सार्थक निष्कर्ष तभी निकलेगा जब केंद्र सरकार इन सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर कोई ठोस योजना बनाए।

 

पंजाब में कई बड़े चेहरे आम आदमी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। ऐसे में आप कैसे कामयाबी की उम्मीद रखते हैं?
जवाब: आम आदमी पार्टी में कई बड़े नेता अब भी हैं, जो दिलो-जान से जनता की सेवा में नि:स्वार्थ भाव से लगे हैं। पंजाब की जनता को इस बार बदलाव चाहिए और ‘आप’ ने दिल्ली में काम करके साबित कर दिया है कि अच्छी नीयत हो तो सब कुछ किया जा सकता है। आम आदमी पार्टी सी.एम. चेहरे के ऊपर सही समय पर निर्णय लेगी। 

 

दिल्ली कुछ माह से रिकवरी रेट के मामले में मॉडल बन कर उभरी है। दिल्ली सरकार के किन कदमों से संक्रमण पर लगाम कसने और मौतों की संख्या घटाने में मदद मिली?
जवाब: दिल्ली मॉडल के तीन सिद्धांत हैं। एक, सभी सरकारों और लोगों को समझ लेना चाहिए कि कोरोना बहुत बड़ी बीमारी है और इससे अकेले नहीं लड़ा जा सकता है। सभी को साथ लेकर चलना पड़ेगा। इससे समाज सामने आएगा, संस्थान और धार्मिक संगठन सामने आएंगे, व्यक्तिगत रूप से बहुत लोग मदद करने आएंगे। राजनीति को भूलकर देश के लिए लडऩा पड़ेगा। दूसरा सिद्धांत ये था कि हमारी जिसने भी गलतियां निकालीं, उसे गालियां नहीं दीं और स्वागत किया। उन्हें नोट किया और युद्ध स्तर पर ठीक किया। इसका बड़ा उदाहरण लोकनायक अस्पताल है, जिसके बारे में खूब कमियां निकाली गईं। जून के पहले सप्ताह में खूब बुराई होती थी लेकिन बाद में अब सभी तारीफ कर रहे हैं और इसे प्राइवेट से भी अच्छा अस्पताल बता रहे हैं। तीसरा, कभी हार नहीं मानी। चाहे स्थिति कितनी भी बिगड़ गई, सरकार कभी हार नहीं मान सकती। अभी एक राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि कोरोना से सिर्फ भगवान ही बचा सकते हैं। ऐसे में सरकारें हाथ खड़े कर दें तो कितनी जानें जाएंगी, आप अंदाजा नहीं लगा सकते। इसके अलावा कई ऐसी पहल कीं, जिससे कोरोना से लडऩे मेें सफलता मिली। मुख्य रूप से होम आइसोलेशन मॉडल, कोरोना मोबाइल ऐप, जिससे रियल टाइम बैड उपलब्धता की जानकारी मिली। देश का पहला प्लाज्मा बैंक सबसे महत्वपूर्ण है। हमें खुशी है कि दिल्ली का होम आइसोलेशन मॉडल दुनिया के लिए उदाहरण बना।

 

राष्ट्रीय राजनीति में विपक्षी दलों का साथ देंगे या भाजपा के साथ जाएंगे?
जवाब: ये जनतंत्र है। जनता सब निर्णय लेती है। देश की राजनीति की बात करें तो पक्ष और विपक्ष दोनों के विकल्प की जरूरत है। ऐसे समय में जब चीन देश को चुनौती दे रहा है, इतना तनाव है, कोरोना फैला हुआ है, तब दोनों सबसे बड़ी पार्टियां राजस्थान में आपस में लड़ रही थी। एक विधायकों को बेच रही थी, दूसरी खरीद रही थी। एक सरकार गिरा रही थी और दूसरी बचा रही थी। बहुत ही तुच्छ किस्म की राजनीति चल रही थी। ऐसे समय में देश को साथ लेकर चीन और कोरोना का मुकाबला करना चाहिए था। कांग्रेस खत्म हो चुकी है तो भाजपा को लगता है कि कोई हमारे सामने नहीं है तो काम करने की क्या जरूरत है। ऐसे में देश को राष्ट्रीय स्तर पर दोनों पार्टियों से अलग एक विकल्प की जरूरत है। 

 

दिल्ली से हटकर बात करें तो पंजाब अकेला ऐसा राज्य है जहां आपकी पार्टी का अच्छा-खासा जनाधार रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया था। 2022 में फिर चुनाव हैं। आपको लगता है कि पार्टी इस बार पंजाब में सरकार बना पाएगी?
जवाब : पंजाब में आम आदमी पार्टी का अच्छा जनाधार है और लोग बहुत चाहते हैं। कांग्रेस-अकाली दल की गंदी राजनीति से थक चुके हैं और बदलाव चाहते हैं। जनता ने देख लिया है कि ‘आप’ की सरकार दिल्ली में कितना अच्छा काम कर रही है - चाहे बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा या कोरोना के खिलाफ लड़ाई हो। इस बार जनता बुरे अनुभव और आने वाले अच्छे समय की उम्मीद पर वोट डालेगी। हमें उम्मीद है कि जनता ‘आप’ को मौका देगी।

Seema Sharma

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