Election Diary : देश की निगाहें चुनाव पर, दुनिया की नजर अनंतनाग पर

Wednesday, Mar 20, 2019 - 01:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायनों में अलग है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में कोई सीट है तो वह है अनंतनाग। इस सीट पर एक नहीं दो नहीं पूरे तीन चरणों में  मतदान होना है। देश में पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी एक सीट पर एक से अधिक चरणों में मतदान होगा। जाहिर है अनंतनाग पर न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया की भी नज़र है।  


देश में लोकसभा का चुनाव सात चरणों में होगा। जम्मू कश्मीर में भी लिए पांच चरणों में चुनाव होगा। लेकिन राज्य की जम्मू, उधमपुर, लद्दाख, श्रीनगर, बारामूला सीटों पर जहां मतदान एक ही दिन में निपट जायेगा ,वहीं अनंतनाग सीट पर तीन चरणों में वोट पड़ेंगे। अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के लोग 23 अप्रैल 29 अप्रैल तथा 6 मई को मतदान करेंगें। अनंतनाग में 13 लाख से अधिक मतदाता हैं। इसी सीट के अधीन त्राल, पांपोर, पुलवामा, राजपोरा, वाची, शोपियां, नूराबाद, कुलगाम, होमशालीबुग, देवसर, अनंतनाग, डूरू, कोकरनाग, शांगस, बिजबिहाड़ा विधानसभा क्षेत्र आते हैं। लेकिन यह भी हकीकत है कि घाटी में आतंकवाद पनपने के बाद  यहां कभी भी सामान्य मतदान नहीं हुआ। 2014 में यहां महज 27 फीसदी मतदान हुआ था। 2017 में उपचुनाव करवाने की कोशिश हुई जो कामयाब नहीं हो सकी।  

क्यों हुआ तीन चरण वाला फैसला 
दरअसल देश भर को जख्म देने वाले जिस आतंकवाद से भारत जूझ रहा है उसकी जड़ें अनंतनाग में ही हैं। यही वो इलाका है जहां बुरहान वाणी हुआ, यही वो इलाका है जहां हर रोज एनकाउंटर होता है , यही वो इलाका है जहां पिछले महीने पुलवामा काण्ड हुआ। ऐसे में यहां चुनाव कराना ही बहुत बड़ी चुनौती है। शायद यही वजह है कि निर्वाचन आयोग ने तीन चरणों वाला फैसला लिया। अनंतनाग क्षेत्र में हालात की संवेदनशीलता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जब अप्रैल 2016 में अनंतनाग संसदीय सीट से इस्तीफा दिया था तो उसके बाद से यहां उपचुनाव नहीं कराए जा सके। 


2017 में उपचुनाव घोषित भी हुए, चुनाव की तिथि तय हो गई। लेकिन सुरक्षा की चिंता और आतंकी हिंसा की आशंका के चलते चुनाव अंतिम समय में रद्द कर दिया गया। 1991 के बाद यह पहला मौका था जब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कारणों से चुनाव रद्द किया गया हो। पिछले तीन साल में इस इलाके में 580 आतंकी मरे गए हैं। इनमे से नब्बे फीसदी स्थानीय युवक थे। चुनाव आयोग ने 2016 में चुनाव के लिए 687 कंपनियां मांगी थीं। केंद्र ने 250 कंपनियां दी थीं, नतीजा-- चुनाव नहीं हो सका। ऐसे में इस बार तीन चरणों में मतदान का आईडिया ढूंढा गया है ताकि सुरक्षा बलों की कमी महसूस न हो. आईडिया कितना फलीभूत होगा इसपर सबकी निगाहें हैं। घाटी में आतंक पनपने से पहले यह इलाका दुनिया में केसर की खेती के लिए मशहूर था लेकिन जबसे केसर की जगह कारतूस उगने लगे अनंतनाग की सुर्ख तस्वीर भी स्याह हो गयी। हालांकि  इस बार अगर यहां चुनाव संपन्न होता है तो यह इस बात का भी संकेत होगा कि बारूद के नीचे अभी भी केसर के बीज मौजूद हैं जो फिर से उगने को बेताब हैं। 


जम्मू-कश्मीर में वोटिंग 
11 अप्रैल : बारामूला, जम्मू 
18 अप्रैल : श्रीनगर, उधमपुर
23 अप्रैल : अनंतनाग (अनंतनाग जिले में वोटिंग)
29 अप्रैल : अनंतनाग ( कुलगाम जिले में वोटिंग)
   6 मई   : लद्दाख, अनंतनाग ( शोपियां जिले में वोटिंग)

vasudha

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