ये है दुनिया का एकमात्र संस्कृत अखबार, अब बंद होने के कगार पर

Friday, Jun 10, 2016 - 05:26 PM (IST)

नई दिल्ली: दुनियाभर को संस्कृत का ज्ञान करवाने वाले भारत में दुनिया का एकमात्र संस्कृत दैनिक अखबार सुधर्मा अब जल्द ही बंद हो सकता है। कर्नाटक के मैसूर से निकलने वाला यह अखबार एक महीने बाद अपनी लांचिंग का 46वां साल पूरा कर लेगा। वह भी तब अगर यह एक महीने और चल पाए। राजनीति, योग, वेद और संस्कृति समेत अन्य खबरों वाले इस एक पन्ने के अखबार का सर्कुलेशन 4,000 है।


सरकार की ओर से नहीं मिली मदद
संस्कृत के विद्वान कलाले नांदुर वरदराज आयंगर ने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए 15 जुलाई, 1970 को यह अखबार शुरू किया। आयंगर के पुत्र और सुधर्मा के संपादक के वी संपत कुमार कहते हैं कि अखबार की छपाई जारी रखना बहुत संघर्षपूर्ण रहा है। एक वेबसाइट से बातचीत में उन्होंने कहा कि सर्कुलेशन दिनोंदिन कम हो रहा है क्योंकि सरकार की ओर से कोई समर्थन हासिल नहीं है। यह दुखद है कि हम संस्कृत की ऐतिहासिक भूमिका को नहीं समझ पा रहे हैं, जिसे वैश्विक स्तर पर अब सायेंटिफिक और फोनेटिकली साउंड लैंग्वेज के रूप में मान्यता मिल रही है।

देश नहीं, विदेश में हैं ज्यादा पाठक
यह भी एक विडंबना ही है कि अखबार के ज्यादातर पाठक विदेश से हैं। आयंगर ने तत्कालीन सूचना मंत्री आई के गुजराल को संस्कृत में न्यूज बुलेटिंस निकलवाने की गुजारिश की थी। हालांकि, अखबार का सर्कुलेशन महज 4,000 तक सिमट गया है, लेकिन इसके ई-पेपर के एक लाख से ज्यादा पाठक हैं जिनमें ज्यादातर इसराइल, जर्मनी और इंग्लैंड के हैं। ज्यादातर सब्सक्राइबर्स संस्थाएं, शैक्षिक प्रतिष्ठान और धार्मिक संस्थाएं हैं। हालांकि, देश में 13 संस्कृत विश्वविद्यालय हैं और कर्नाटक में 18 संस्कृत कॉलेज हैं, लेकिन अखबार को आर्थिक मदद देने वाला विरले ही हैं।

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