Hate Speech Law: दूसरे धर्म का अपमान करने से पहले सोच लें एक बार, इन राज्यों के कानून है बेहद सख्त

punjabkesari.in Sunday, Dec 21, 2025 - 03:53 PM (IST)

नेशनल डेस्क : चाहे सोशल मीडिया पर लिखा गया एक पोस्ट हो या किसी सार्वजनिक मंच से दिया गया बयान, कुछ शब्द आपकी छवि के साथ-साथ आपकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर भी असर डाल सकते हैं। देश में हेट स्पीच को नियंत्रित करने के लिए कानून पहले से लागू हैं, लेकिन अब कई राज्य इन्हें और कड़ा करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। अब एक सवाल यह भी सवाल उठता है कि क्या नए कानून बोलने की आज़ादी को सीमित करेंगे? 

हेट स्पीच पर बढ़ती सख्ती

भारत में धर्म, जाति और समुदाय से जुड़े बयान हमेशा संवेदनशील रहे हैं। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) में हेट स्पीच से जुड़े प्रावधान पहले से मौजूद हैं। अब राज्य सरकारें अपने स्तर पर इन नियमों को और कड़ा करने की तैयारी में हैं। कर्नाटक विधानसभा से पारित नया विधेयक और तेलंगाना सरकार के सख्त रुख ने इस बहस को तेज कर दिया है।

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कर्नाटक का नया कानून

कर्नाटक में पारित विधेयक में हेट स्पीच की परिभाषा को काफी व्यापक बनाया गया है। इसके तहत बोले गए शब्द, लिखित सामग्री, इशारे, दृश्य माध्यम और डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक संचार के जरिए फैलाया गया नफरत भरा संदेश अपराध माना जाएगा। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी व्यक्ति, समूह या समुदाय के खिलाफ नफरत या दुश्मनी फैलाने का प्रयास करता है, तो उस पर कार्रवाई हो सकती है, चाहे संबंधित व्यक्ति जीवित हो या नहीं।

नियमों में बदलाव करने की तैयारी में तेलंगाना 

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने संकेत दिए हैं कि उनकी सरकार दूसरे धर्मों का अपमान करने वालों के खिलाफ और कड़ा कानून लाएगी। इसके लिए मौजूदा नियमों में बदलाव की योजना है। हालांकि अभी विधेयक का मसौदा सामने नहीं आया है, लेकिन सरकार का रुख साफ है कि हेट स्पीच पर सख्ती बढ़ेगी।

केंद्र के मौजूदा कानून

भारतीय न्याय संहिता में हेट स्पीच के लिए अलग शीर्षक वाली धारा नहीं है। BNS की धारा 196, जो पहले IPC की धारा 153A थी, धर्म, जाति, भाषा या समुदाय के आधार पर दुश्मनी फैलाने को अपराध मानती है। इसके अलावा भड़काऊ या झूठी सूचनाओं से कानून-व्यवस्था बिगाड़ने पर पुराने IPC की धारा 505 से जुड़े प्रावधान भी लागू होते हैं।

पहले से सख्त कानून वाले राज्य

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम जैसे राज्यों में हेट स्पीच और सांप्रदायिक बयानबाजी पर पहले से कड़ी कार्रवाई की जाती है। कई मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों तक का इस्तेमाल हुआ है, जिससे सजा का खतरा बढ़ जाता है।

अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सवाल

हेट स्पीच पर सख्त कानूनों को लेकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असर को लेकर बहस जारी है। संविधान बोलने की आज़ादी देता है, लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था और सामाजिक सद्भाव के लिए उस पर उचित प्रतिबंध भी संभव हैं। सरकारें इसी संतुलन का हवाला दे रही हैं।

आगे क्या बदलेगा

कर्नाटक और तेलंगाना के बाद अन्य राज्यों में भी हेट स्पीच कानूनों की समीक्षा की संभावना है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बढ़ते प्रभाव के चलते आने वाले समय में ऑनलाइन बयान भी कानूनी जांच के दायरे में ज्यादा आएंगे। अब एक बयान सिर्फ विवाद नहीं, बल्कि गंभीर कानूनी संकट भी बन सकता है।


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Content Editor

Mehak

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