ये हैं देश के रहस्यमयी पर्यटन स्थल, कही उड़ते हैं पत्थर तो कहीं तैरते हैं द्वीप

Sunday, Feb 04, 2018 - 10:59 AM (IST)

नेशनल डेस्कः देश में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जो रहस्य से भरे हैं। जिसकीे रहस्य और अद्भुत नजारों को देखर आप भी हैरान रह जाएंगे। कुछ ऐसे ही रहस्यमयी पर्यटन स्थलों के बारे में आज आपको बताने जा रहे हैं।

नीलाकुरिंजी फूल, मुन्नार (केरल)
कई अद्भुत प्राकृतिक नजारों की भूमि केरल में एक अद्भुत नजारा है यहां 12 वर्षों में एक बार खिलने वाला नीलाकुरिंजी फूल। वनस्पति विज्ञानी इन फूलों को ‘स्ट्रोबिलांथेस कुंथिएनम’ भी कहते हैं क्योंकि ये सिर्फ 12 वर्ष बाद ही खिलते हैं वह भी मुन्नार के पर्वतों पर। यह अगस्त में उगने शुरू होते हैं और अक्तूबर तक खिलते रहते हैं। नीलाकुरिंजी फूलों के मध्य खड़े होने का अनुभव बहुत निराला होता है। अधिकतर पर्यटक वर्ष के इस समय के दौरान ही वहां जाते हैं ताकि यह अद्भुत नजारा देख सकें।

चुम्बकीय पर्वत, लद्दाख (जम्मू-कश्मीर)
कल्पना करें कि जब अपनी कार पूरी तरह बंद हो तब भी यह पर्वत के ऊपर की ओर जाती हो जी हां समुद्र तल से 11 हजार फुट की ऊंचाई पर लद्दाख में एक चुम्बकीय पर्वत स्थित है जो एक कार को तब भी अपने ऊपर की ओर खींचता है जब कार बंद हो यानी इसका इग्रिशन ऑफ हो। यह सभी पर्यटकों के लिए एक रोमांचक अनुभव है और लेह के रास्ते में अवश्य देखा जाने वाला अद्भुत अविश्वसनीय नजारा।


उड़ता पत्थर, शिवापुर (महाराष्ट्र)
हजरत कमर अली दरवेश पुणे में स्थित दरगाह है जिसके साथ एक जादुई कथा जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि लगभग 800 वर्ष पहले यह दरगाह एक व्यायामशाला हुआ करती थी और कमर अली नामक सूफी संत का यहां मौजूद पहलवानों ने मजाक उड़ाया था। इससे हताश होकर कमर अली ने पहलवानों द्वारा बॉडी बिल्डिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों पर जादू कर दिया। आज भी यहां 70 किलोग्राम वजनी एक चट्टान को 11 उंगलियों के स्पर्श तथा उस संत का नाम ऊंची आवाज में उच्चारण करके उठाया जाता है।

पक्षियों की सामूहिक आत्महत्या, जाटिंगा (असम)
जाटिंगा का प्राचीन नगर असम के बोरेल पर्वतों में स्थित है। प्रत्येक मानसून में यह नगर एक सर्वाधिक असामान्य परिदृश्य का गवाह बनता है। सितम्बर-अक्तूबर के आसपास विशेष काली अंधेरी रातों में सैंकड़ों की संख्या में प्रवासी पक्षी भवनों की ओर उड़ान भरते हैं और उनसे टकरा कर मर जाते हैं। यह रहस्य अब तक अनसुलझा है।

लोनार क्रेटर झील, महाराष्ट्र
1.8 किलोमीटर व्यास और 150 मीटर की गहराई वाली यह क्रेटर झील 50 हजार वर्ष पूर्व उस समय बनी थी जब इस क्षेत्र में एक क्षुद्र ग्रह टकराया था जिसे अब दक्षिणी पठार भी कहा जाता है। ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए यह एक लोकप्रिय डैस्टीनेशन है जो औरंगाबाद से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

कंकालों की झील-रूपकुंड झील, चमोली (उत्तराखंड)
रूपकुंड झील हिमालय के एक निर्जन हिस्से में 16500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह झील हिम से ढंकी रहती है और इसके आसपास चट्टानी ग्लेशियर स्थित हैं। इस स्थान के बारे में सर्वाधिक रहस्यमयी बात यह है कि यहां पर 600 मानवीय कंकाल मिले थे। इनका संबंध 9 ईस्वी से माना जाता है। जब हिम पिघलती है झील के संकरे तल में से ये कंकाल दिखाई देेने लगते हैं।

तैरते द्वीप, लोकटक झील (मणिपुर)
मणिपुर की लोकटक झील को विश्व की एकमात्र तैरती झील कहा जाता है। यह भारत की सर्वाधिक असामान्य जगहों में से एक है। इस झील में वनस्पति के बड़े-बड़े पुंज हैं जो शानदार ढंग से गोलाकार हैं और सतह पर तैरते हैं। इन्हें फुमडी के नाम से जाना जाता है। तैरने वाली चीजें वनस्पति, मिट्टी तथा जैविक पदार्थ के झुंंड हैं। इनमें से कुछ द्वीप इतने बड़े हैं कि उन पर रिसोर्ट्स तक बनाए गए हैं।

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