ये हैं वो 5 कारण, जिसके चलते सत्ता में आई बीजेपी

punjabkesari.in Saturday, Feb 08, 2025 - 02:01 PM (IST)

नैशनल डैस्क  : दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 27 साल बाद वापसी करने जा रही है। पार्टी ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को करारा झटका लगा है। सबसे बड़ा उलटफेर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया के चुनाव हारने से हुआ। बीजेपी की इस ऐतिहासिक जीत के पीछे कई अहम वजहें रहीं। आइए जानते हैं कि बीजेपी ने इस बार दिल्ली का दिल जीतने में कैसे सफलता पाई।

1. शीशमहल विवाद: आम आदमी की छवि को झटका
बीजेपी ने चुनाव प्रचार में अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास को ‘शीशमहल’ बताते हुए उन पर जमकर निशाना साधा। पार्टी ने बार-बार यह मुद्दा उठाया कि केजरीवाल ने अपने घर की साज-सज्जा पर करोड़ों रुपये खर्च किए, जबकि वे खुद को आम आदमी बताते हैं। यह रणनीति कारगर साबित हुई और जनता के बीच ‘आप’ की छवि को नुकसान पहुंचा।

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2. यमुना की गंदगी बनी बड़ा मुद्दा
यमुना नदी की सफाई इस चुनाव में सबसे चर्चित मुद्दों में से एक रही। बीजेपी ने दिल्ली में बढ़ते जल प्रदूषण और गंदे पानी की आपूर्ति को लेकर ‘आप’ सरकार पर हमला बोला। जब केजरीवाल ने एक कार्यक्रम में साफ पानी पीने का दावा किया, तो बीजेपी ने इसके जवाब में जगह-जगह गंदे पानी के वीडियो वायरल कर दिए। इससे आम जनता के बीच इस मुद्दे को लेकर असंतोष बढ़ा और इसका फायदा बीजेपी को मिला।

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3. महिलाओं के लिए 2500 रुपये और अन्य वादे
बीजेपी ने महिलाओं के लिए हर महीने 2500 देने का वादा किया, जिससे महिला मतदाता पार्टी की ओर आकर्षित हुईं। इसके अलावा, गरीब परिवारों को रसोई गैस सिलेंडर पर 500 की सब्सिडी और होली-दीवाली पर एक मुफ्त सिलेंडर देने का वादा भी किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘मोदी की गारंटी’ बताकर जनता को भरोसा दिलाया, जिसका असर चुनावी नतीजों में साफ दिखा।

4. आक्रामक चुनाव प्रचार और बड़े नेताओं की एंट्री
बीजेपी ने इस बार अपना चुनाव प्रचार बेहद आक्रामक तरीके से चलाया। पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे, जिन्होंने कई चुनावी रैलियों में ‘आप’ सरकार पर तीखे हमले किए। इसके अलावा, बीजेपी ने केजरीवाल के खिलाफ परवेश वर्मा और आतिशी के खिलाफ रमेश बिधूड़ी को मैदान में उतारकर कड़ी टक्कर दी। बीजेपी की यह रणनीति सफल रही और ‘आप’ के बड़े नेता हार गए।

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5. बिना मुख्यमंत्री चेहरे के चुनाव में उतरी बीजेपी
बीजेपी ने इस बार भी मुख्यमंत्री पद के लिए किसी एक चेहरे को आगे नहीं किया, जिससे पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं हुई। इससे अलग-अलग समुदायों के वोट एकजुट रहे और पार्टी को इसका फायदा मिला। यह रणनीति बीजेपी पहले भी कई राज्यों में अपना चुकी है और इस बार दिल्ली में भी कारगर साबित हुई।


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News Editor

Rahul Singh

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