सरकार बनने के बाद कुमारस्वामी के सामने होंगी ये 8 चुनौतियां

Tuesday, May 22, 2018 - 01:23 PM (IST)

नेशनल डेस्कः जद (एस) नेता कुमारस्वामी 23 मई की शाम साढ़े चार बजे प्रदेश सचिवालय में कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। राज्यपाल वजुभाई वाला कुमारस्वामी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कुमारस्वामी ने कहा कि वे पांच वर्ष के लिए स्थिर सरकार देंगे। कुमारस्वामी कल अकेले ही शपथ ग्रहण करेंगे। उनके बहुमत साबित करने के बाद ही अन्य मंत्री शपथ ग्रहण करेंगे। भले कांग्रेस और जेडीएस बहुमत साबित कर दे लेकिन नई सरकार के लिए आगे चुनौतियां कम नहीं होंगी।

कुमारस्वामी को करना पड़ सकता हैं इन चुनौतियों का सामना

  • कर्नाटक में अभी दो सीटों- जयनगर और आर. आर. नगर विधानसभा क्षेत्रों में पर चुनाव होना है। ऐसे में वो सीटें किसके पाले में जाएंगी ये परिणाम ही बताएंगे लेकिन अगर ये दो सीटें भी कांग्रेस को मिलती हैं तो ऐसे में जेडीएस को अपने उम्मीदवारों में कटौती करनी पड़ सकती है। दूसरी तरफ भाजपा का भी इन सीटों पर काफी दबदबा है। अगर दोनों सीटे भाजपा की झोली में गिरी तब भी चुनौती जेडीएस के सामने ही होगी।
     
  • कावेरी जल विवाद भी इन दिनों काफी गर्माया हुआ है। सीएम पद की शपथ लेने से पहले ही कुमारस्वामी और रजनीकांत के बीच जुबानी जंग शुरू हो चुकी है। हाल ही में रजनीकांत ने कहा कि उम्मीद है कि कावेरी पर नई सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरा करेगी। दूसरी तरफ कुमारस्वामी ने राज्य के सूखे पड़े जलाशयों को दिखाने के लिए रजनीकांत को कर्नाटक आने का न्यौता दिया है। अगर कुमारस्वामी कावेरी पर धैर्य से निर्णय नहीं लेते तो कावेरी की आग एक बार फिर से धधक सकती है जोकि कांग्रेस और जेडीएस के लिए अच्छी खबर नहीं होगी।
     
  • कर्नाटक भी पिछले काफी समय से कृषि संकट से जूझ रहा है। कांग्रेस के पांच साल के कार्यकाल के दौरान करीब 35,000 से भी ज्यादा किसानों ने खुदकुशी की है। ऐसे में कुमारस्वामी को किसानों के लिए नई कृषि नीति बनानी होगी। अगर कुमारस्वामी किसानों से जुड़ी दिक्कतों और चुनौतियों का समाधान नहीं कर पाए तो उनके लिए राज्य में एक बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।
     
  • लिंगायत समुदाय जेडी(एस) और कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। लिंगायत के 20 विधायक भाजपा के ऑफर के बावजूद भी कांग्रेस और जेडीएस के साथ बने हुए हैं। अगर कुमारस्वामी इन 20 विधायकों को खुश नहीं कर पाए तो उनकी सीएम कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
  • सिद्धारमैया भले ही अब सीएम पद पर नहीं लेकिन कांग्रेस में उनका प्रभाव अभी भी है। वे हाल ही में पार्टी के विधायक नेता चुने गए हैं। वहीं सिद्धारमैया और कुमारस्वामी के बीच तालमेल की कमी भी है जो इस गठबंधन पर असर डाल सकती है। वहीं एच. डी. देवगौड़ा ने भले ही सीएम पद नहीं अपनाया हो लेकिन गठबंधन की डोर उनके हाथ में ही है। यह पकड़ दोनों पार्टियों के टिकाऊ गठबंधन पर असर डाल सकती है।
     
  • भले ही कांग्रेस-जेडीएस मिलकर सरकार बनाने जा रही है लेकिन दोनों के ही दिल में अभी तक भाजपा के भय है। भाजपा बहुमत से महज कुछ सीटें ही दूर है। ऐसे में हो सकता है कि भाजपा गठबंधन के मतभेद का फायदा उठा सकती है।
     
  • कुमारस्वामी ने मौके का फायदा लाभ उठाकर कांग्रेस का साथ दिया और सीएम की कुर्सी पर अपना दावा पेश कर दिया। हालांकि कुमारस्वामी और एचडी देवैगौड़ा पहले ही कह चुके हैं कि उन्होंने कांग्रेस को सीएम पद की कुर्सी ऑफर की थी। लेकिन फिर भी कुमारस्वामी को अपनी छवि सुधारनी होगी और अवसरवादी छाप से बाहर आना होगा।
     
  • कांग्रेस में माइनिंग और रियल एस्टेट सेक्टर में गोरखंधधा करने वाले विधायकों की कमी नहीं है। ऐसे में अगर कांग्रेस भाजपा को भ्रष्ट पार्टी कहती है तो छवि उनकी भी साफ नहीं है। राज्य में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने भी काफी जोड़तोड़ किया है। यहां तक कि अपने विधायकों को कांग्रेस ने होटलों में बंद कर रखा। ऐसे में कुमारस्वामी कैसे राज्य में भ्रष्टाचार से निपटेंगे।

Seema Sharma

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